नई दिल्ली: भारतीय रेल में मांग एक समान नहीं रहती है। मंदी एवं शीर्ष अवधि में यह अलग अलग होती है और मंदी तथा शीर्ष अवधि भी देश के सभी भागों में एक समान नहीं रहती। बहरहाल, वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान भारतीय रेल में सभी आरक्षित रेलगाडि़यों में समग्र यात्री क्षमता 100 प्रतिशत से अधिक रही।
निम्न संरक्षित रेलगाडि़यों की यात्री क्षमता में सुधार लाने के लिए लगातार जारी अभ्यासों के रूप में विभिन्न कदम उठाए गए हैं जो निम्नलिखित हैं –
- सेवाओं में तेजी लाना एवं वर्तमान रेलगाडि़यों के चलने के समय में कमी लाना,
- खाली रेलगाडि़यों की समय सारिणी को अधिक सुविधाजनक बनाना
- निम्न संरक्षित रेलगाडि़यों के भार में कमी लाना
- आरक्षण कोटा के पुर्नवितरण, रेलगाडियों के भार के संवर्धन/कमी जैसे आवश्यक सुधार करने के लिए रेलगाडियों की उपयोग पद्धति का अध्ययन करना।
- सड़क-प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों पर यात्रियों की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनुकूल रेलगाडियां चलाना।
- शताब्दी रेलगाडियों के कुछ रूटों में किराये में कमी।
- एसी-3 टियर कोच को एसी चेयर कोच के रूप में घोषणा।
- पहली आरक्षण तालिका तैयार होने के बाद खाली बर्थ/सीटों पर सभी रेलगाडियों में मूल किराये में 10 प्रतिशत की कमी।
यह सूचना आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में श्री राजेन गोहैन द्वारा दी गयी।