नई दिल्ली: मेरे लिए यह हर्ष का विषय है कि मैं आज आप लोगों के बीच हूं। मैं राष्ट्रपति भवन में आपका स्वागत करता हूं और इस प्रकार की कठिन व प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए आपको बधाई देता हूं।
आपने एक बहुत नेक पेशा चुना है। भारतीय प्रकृति और संस्कृति के लिए वन हमेशा से ही विशेष रहे हैं। हमारी सभ्यता ने अपनी बौद्धिकता और आध्यात्मिकता की शक्ति वन से ही प्राप्त की है। इसलिए हमारे लिए वन मात्र संसाधन नहीं हैं बल्कि ये सांस्कृतिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विरासत समेटे हुए हैं। अब इस विरासत को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी वन सेवा अधिकारियों पर है। पर्यावरण सुरक्षा और देश के सतत विकास से सामंजस्यता की जिम्मेदारी वन अधिकारियों पर निर्भर है।
पिछले कुछ दशकों से मानव जाति अपने अस्तित्व के खतरों के प्रति जागरूक हुई है जिनमें पर्यावरण प्रदूषण, वन क्षेत्र में कमी और सबसे बढ़कर वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।
जैसा कि आप जानते हैं जटिल जलवायु परिवर्तन के मामलों में भारत वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर रहा है। हमारी वन नीति के अनुसार 33 प्रतिशत भूमि वन आच्छादित होना चाहिए।
वन ग्रीन हाउस गैसों में कमी ला सकते हैं और इस प्रकार वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है। हमारे देश में 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कॉर्बन उत्सर्जन में कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वन जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से लड़ने में हमारी मदद कर सकते हैं :
- समुद्र तटीय इलाकों में मैन्ग्रोव वन हमें चक्रवाती तूफान और सुनामी से हमारी रक्षा करते हैं।
- पर्वतीय वन मिट्टी को संरक्षित रखते हैं और इस प्रकार भूस्खलन और बाढ़ से बचाते हैं।
- वन हमें सूखे से बचाते हैं और कृषि उत्पादन में वृद्धि करते हैं।
करोड़ों लोग विशेषकर आदिवासी अपनी जीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। आपने लोक सेवा का चुनाव किया है और आप पर्यावरण तथा पारिस्थितिक संरक्षण जैसे विशेष क्षेत्र में देश के सैनिक हैं। आप अपनी सेवा न्यायपूर्ण तरीके से, ईमानदारी से, बिना भय के तथा ऐसे तरीके से करें जिससे देश और सामान्य नागरिक दोनों ही लाभान्वित हो सकें।