नई दिल्लीः भारतीय वायु सेना के पर्वतारोहियों के एक विशेषज्ञ दल ने पहले 6 विभिन्न महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों की चढाई की थी और हाल में यह दल मिशन सात शिखर पूरा करने के लिए अंटाकर्टिका में माऊंट विन्सन के लिए अंतिम अभियान पर रवाना हुआ। 8 दिसम्बर, 2017 को ग्रुप कैप्टन आर सी त्रिपाठी वीएम (जी) के नेतृत्व में 5 सदस्यी इस दल को वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ पीवीएसएम एवीएसएम वाईएसएम वीएम एडीसी ने झंडी दिखा कर रवाना किया।
यह दल 25 दिसम्बर, 2017 को 1845 बजे अंटार्टिका की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा झंडा और भारतीय वायु सेना के झंडे को गौरव के साथ फहरा कर वापस लौट आया है। 11 जनवरी, 2018 को एक रस्मी समारोह में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने दल के नेता ग्रुप कैप्टन आर सी त्रिपाठी से बर्फ काटने वाली कुल्हाडी और तिरंगा झंडा प्राप्त करने के बाद दल का स्वागत किया। वायु सेना प्रमुख ने दल द्वारा दूर की गई चुनौतियों और अभियान के दौरान बाधाओँ से लड़ने में बहादुरी के लिए दल की सराहना की। उन्होंने दल को सभी महाद्विपों के सर्वोच्च पर्वतों पर तिरंगा झंडा लहराने के एतिहासिक कार्य के लिए बधाई दी। इसके साथ भारतीय वायु सेना भारत का पहला संगठन है जिसने 7 चोटियों का अभियान पूरा किया हो। यह एक दुर्लभ उपलब्धि है।
भारतीय वायु सेना साहसिक चुनौतियों को पूरा करने में हमेशा अग्रणी रही है। भारतीय वायु सेना का 7 चोटी मिशन सभी 7 महाद्वीपों के शीर्ष पर्वतों पर राष्ट्रीय तिरंगा फहराने के उद्देश्य से किया गया था। 2005 में माऊंट एवरेस्ट पर पहुंचने का इतिहास बनाने के बाद भारतीय वायु सेना ने 2008 में मिशन सात शिखर पर्वतारोहण अभियान की अप्रत्यशित श्रृंखला लांच की थी।
भारतीय वायु सेना अपने कर्मियों के लिए नियमित आधार पर साहसिक कार्यों और खेलों को प्रोत्साहित करती है और वायु सेना कर्मियों के साहस और शोर्य को महत्वपूर्ण स्थान देती है। शांति काल में साहसिक कार्यों में शामिल होने से सेना को मजबूती मिलती है नेतृत्व और साथी की भावना बढ़ती है तथा कारगर ढंग से निर्णय लिया जाता है। भारतीय वायु सेना के इन करतबों से उसका नारा ‘गर्व से आसमान को छुओ’ सत्य प्रतीत होता है।
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