नई दिल्ली: भारतीय विदेश सेवा के 2016 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह ने आज राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की।
प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने उन्हें सिविल सेवा को कैरियर के रूप में चुनने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक राजनयिक प्रतिनिधि के रूप में देश की सेवा करने का कार्य चुना है इसलिए उनके लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत, दुनिया के लिए सार्वभौमिक स्वीकृति की सबसे बड़ी अवधारणा का उपहार लाया है। भारत ने मानवता के लिए वसुधैव कुटुंबकम का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि विदेश सेवा उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने और देश की सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करने तथा देश के विकासात्मक लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए दुनिया भर में अपने समकक्षों के साथ बातचीत करने का अद्वितीय अवसर और विशेषाधिकार प्रदान करती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक राजनयिक से प्रासंगिक विषयों की व्यापकता के बारे में हमेशा अच्छी जानकारी रखने की अपेक्षा होती है। उन्हें अपने देश की आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिए और उन क्षेत्रों के बारे में जागरूक और सचेत रहना चाहिए जिनमें भारत अपने देश के लोगों की लाभ के साथ दूसरे देशों के साथ मिलकर कार्य कर सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें जिन देशों में तैनात किया जाता है उन देशों के बारे में गहरी रूचि और समझ विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उन देशों की सरकार और जनता के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के सभी अवसरों का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि वे भारत के प्रतिनिधि हैं, जो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक हैं और उसने लोगों को मिलजुल कर रहने, मिलकर विकास करने और मिलकर आगे बढ़ने का पाठ पढ़ाया है।