नई दिल्ली: भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अंतर्राज्यीय ग्रिड के लिए नए मेगा सोलर पार्कों द्वारा उत्पादित विद्युत को निकालने को लेकर उच्च वोलटेज ट्रांसमिशन प्रणाली के निर्माण को प्रोत्साहन देने और राष्ट्रीय ग्रिड प्रणाली की विश्वसनीयता में सुधार के लिए 175 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए है।
ऋण पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) को दिया जाएगा और इसमें देश के विभिन्न स्थानों की उप-परियोजनाओं को सम्मिलित किया जाएगा। देश की किसी विशिष्ट परियोजना को लेकर एडीबी की यह पहली सफलता होगी।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव (बहुपक्षीय संस्थान) श्री राज कुमार ने भारत सरकार की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए जबकि एशियाई विकास बैंक की ओर से एडीबी इंडिया रेजिडेंट मिशन के निदेशक श्री केनिची योकोयामा ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर संयुक्त सचिव श्री राज कुमार ने कहा कि मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली के निर्माण को प्रोत्साहन देकर अधिशेष विद्युत वाले राज्यों से अधिशेष सौर ऊर्जा को विद्युत घाटे वाले राज्यों को भेजा जा सकेगा।
ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत में एडीबी के निदेशक श्री केनिची योकोयामा ने कहा कि इस परियोजना से भारत सरकारी के लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए भारत में सौर ऊर्जा के विस्तार को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही इससे स्वच्छ ऊर्जा की भागीदारी भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पावरग्रिड के सुरक्षा और खरीद प्रणाली को अपनाने से इसके परिचालन में लचीलापन आएगा और स्वायत्तता में सुधार होगा। साथ ही इससे परियोजना के पूरे होने व लागू होने में लगने वाला समय कम होगा।
एडीबी के 175 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण के अतिरिक्त परियोजना में क्लीन टेक्नोलॉजी फंड (सीटीएफ) की ओर से को-फाइनेंस 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर भी शामिल है। सीटीएफ जलवायु निवेश निधि का एक 5.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का घटक है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को कम कार्बन उत्सर्जित करने वाली प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ व नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में संसाधन उपलब्ध कराना है। परियोजना से अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन नेटवर्क की क्षमता और दक्षता में सुधार होगा।
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