वॉशिंगटनः नवीनीकरण ऊर्जा एक ऐसा क्षेत्र बन गया है, जिसमें प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इस सैक्टर पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। भारत ने साल 2011 में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका मकसद बिना किसी प्रदूषण के एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में ऊर्जा की कमी को दूर करना था।
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सौर ऊर्जा नीतियों को लेकर अमरीका पर पलटवार करते अमरीका के कानूनी दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है । भारत ने WTO में अपने सौर ऊर्जा उद्योग के पक्ष में नई दलील दी है। दरअसल, पिछले महीने अमरीका ने इस मामले को लेकर भारत के खिलाफ नए सिरे से मुकदमेबाजी शुरू की थी। WTO में अमरीका ने दलील दी थी कि भारत सौर ऊर्जा पर विश्व व्यापार संगठन के फैसले का पालन करने में विफल रहा है।
अमरीका का कहना था कि मामले में भारत की नीतियां सोलर सेल्स और मोड्यूल्स के विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ हैं। इससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के साथ भेदभाव हो रहा है। सोमवार को WTO ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार अपनी नीतियों में बदलाव कर दिया है। भारत ने कहा कि मामले में अमरीका का दावा पूरी तरह से निराधार है। भारत ने जोर देकर कहा कि मामले को लेकर अमरीका की शिकायत वैध नहीं है।
इस मामले में अमरीका WTO की सही कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया का पालन करने में विफल रहा है। भारत ने कहा कि सौर ऊर्जा की नीतियों को लेकर अमरीका का यह दावा गंभीर पूर्वाग्रह का नतीजा है। भारत ने कहा कि अगर मामले में कानूनी प्रक्रिया का पूरी तरीके से पालन किया जाएगा, तो वह सही साबित होगा। लिहाजा 19 दिसंबर 2017 को अमरीका की शिकायत को सिरे से खारिज करता है।
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