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भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का विश्व हिंदी सचिवालय के भवन के उद्घाटन समारोह में सम्बोधन

देश-विदेश

नई दिल्लीः  1. भारत-मॉरीशस मैत्री से जुड़े हिन्दी भाषा के विकास के इस समारोह में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। यहां के समारोहों में आकर ऐसा लगता ही नहीं है कि मैं अपने लोगों के बीच नहीं हूं। यह अपनेपन का एहसास आप लोगों के सहज स्नेह की वजह से होता है।

  1. यह विश्व हिंदी सचिवालय,भारत और मॉरीशस सरकारों की द्विपक्षीय संस्था के रूप में,दोनों देशों की आपसी मित्रता और साझी परंपरा का प्रतीक है। मुझे इस बात की खुशी है कि विश्व हिंदी सचिवालय का काम अब आधुनिक तकनीक से युक्त इस नए भवन में शुरू हो जाएगा।
  2. अपनी इस यात्रा के दौरान मैंने आप सभी मॉरीशसवासियों की उस भावना की गहराई महसूस की है जिसके कारण आपने अपने देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के महत्वपूर्ण अवसर पर मुझे आमंत्रित करके अपनी खुशी हमारे साथ बांटी है।मैं भी एक सौ तीस करोड़ भारत-वासियों की ओर से आप सबको बधाई देता हूं और यह बताना चाहता हूं कि मेरे सभी देशवासी आप सब की खुशियों में दिल से शरीक होते हैं। मैं भारत सरकार और सभी भारत-वासियों की ओर से मॉरिशस के चहुमुखी विकास,समृद्धि और मजबूत लोकतंत्र के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं इस अवसर पर यह भी संकल्प दोहराना चाहता हूं कि भविष्य में भी हम एक दूसरे का सहयोग करते हुए आपसी समर्थन जारी रखेंगे। आपसी समझ, एक दूसरे के प्रति विश्वास और सहयोग की भावना के साथ-साथ हम विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगे।
  3. भारत और मॉरिशस दोनों देशों के समाज औरसंस्कृति में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिंदी के माध्यम से विश्व भर में फैले आप्रवासी भारतीयों ने अपने संस्कारों और परम्पराओं को सहेजा है और आने वाली पीढ़ियों को इससे जोड़ा है। इसी कारण आज हिंदी विश्व के एक बड़े समुदाय के जीवन में घुली-मिली है।
  4. लगभग दो सौ वर्ष पूर्व भारत से मॉरिशस आए प्रवासी भारतीयों के लिए हिंदी ने संघर्ष के दिनों में संबल दिया। आज मॉरिशस में हिंदी भाषा, घर की बैठकों से लेकर विश्वविद्यालय तक प्रयोग में लाई जा रही है। अनेक देशों में हिंदी बोल-चाल की भाषा है, शिक्षा और संस्कृति की भाषा है। सूरीनाम में हिन्दी में सूरीनामी का प्रभाव दिखता है, दक्षिण अफ्रीका में नेटाली का और यहां मॉरीशस में भोजपुरी का। रौवां सब हिन्दी के सेवा करे में बहुत आगे बानी।
  5. भारत सरकार ने काम-काज और संवाद के माध्यम के रूप में हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया है। इसके अलावा विज्ञान, तकनीकी, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भी हिंदी को बढावा देने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं। हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं ने अनेकता में एकता का उदाहरण देखा जा सकता है। भाषाओं के अलग-अलग होने के बावजूद भारतीय साहित्य की एक साझा पहचान है। तमिल केमहाकवि सुब्रमण्य भारती को राष्ट्रीय चेतना का कवि कहा जाता है। भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान उनकी कविताएं पूरे देश में अनेक भाषाओं में पढ़ी और गाई जाती थीं।
  6. मुझे बताया गया है कि आप सब लोगों के दैनिक जीवन में भी हिंदी के प्रयोग के प्रति सजगता और उत्साह है। इस तरह मॉरीशस में हिंदी का भविष्य सुरक्षित है। मॉरीशस में बहुत सी भारतीय फिल्मों की शूटिंग हुआ करती है, खासकर हिन्दी फिल्मों की। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति भारत में बहुत सराहे जाते हैं।
  7. अनेक देशों में, लगभग एक सौ पचहत्तर विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। पूरी दुनियां को एक परिवार समझने वाली ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना हिन्दी भाषा की सोच का हिस्सा है। इसी भावना के साथ हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1977 में, जनता सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए,संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिन्दी में ही दिया था। वह भाषण बेहद लोकप्रिय हुआ। पहली बार संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिन्दी की गूंज हुई। भाषण खत्म होने के बाद सभी देशों के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर अटल बिहारी वाजपेयी जी का तालियों से स्वागत किया था। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिन्दी को स्थापित करने के उनके प्रयास को हम सभी मिलकर आगे ले जाएंगे।
  8. इसी वर्ष अगस्त के महीने में, मॉरिशस में ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा रहा है। भारत के अलावा मॉरिशस एकमात्र ऐसा देश है,जहां पर ये सम्मेलन तीसरी बार आयोजित होने जा रहा है। यह आप सबके गहरे हिंदी-प्रेम का प्रमाण है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस सम्मेलन में विश्व भर के हिंदी-प्रेमी सार्थक विचार–विमर्श करेंगे और हिंदी के विकास की नई संभावनाएं तलाशेंगे। मैं आप सबको आगामी सम्मेलन की सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

भाइयो और बहनो!

  1. लगभग दो सौ वर्ष पूर्व जब आपके पूर्वज भारत से मॉरिशस आए थे तब उनके पास शोषण का सामना करने के लिए केवल साहस, धीरज,अपनी संस्कृति और आस्थाओं पर विश्वास और मेहनत की पूंजी थी। अपनी इसी पूंजी के बल पर उन्होंने पूरी दुनियां को अपने अस्तित्व का अहसास कराया और विश्व मानचित्र पर अपने देश मॉरीशस को एक अलग पहचान दिलाई।
  2. भावनात्मक एकता के ठोस आधार पर टिके हुए भारत और मॉरिशस के संबंधों को परस्पर सहयोग द्वारा निरंतर मजबूत बनाया जाता रहा है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सन 2015 की यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को एक नया आयाम दिया है। आपके प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जगनाथ के नेतृत्व में मॉरिशस सरकार ने भारत को अपनी विकास यात्रा में एक सहयोगी मित्र राष्ट्र माना है। आपके विकास में साझेदार बनकर हमें गौरव और प्रसन्नता का अनुभव होता है।इस साझेदारी से दोनों देशों के सम्बंधों में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है। इस साझेदारी के तहत मॉरिशस सरकार ने इस भवन के निर्माण के अलावा Social Housing, ENT Hospital तथा विद्यार्थियों को E-Tablets उपलब्ध कराने आदि पर कार्य किया है। इन सभी लोक-कल्याण की सुविधाओं का उद्घाटन करके मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। इन सुविधाओं और परियोजनाओं से मॉरिशस की अर्थ-व्यवस्था और सामाजिक प्रगति को बल मिलेगा। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की कक्षाओं को आधुनिक तकनीकी से युक्त स्मार्ट कक्षाओं का रूप देने के लिए भारत सरकार की सहायता से ई-टेबलेट्स उपलब्ध कराए गए हैं। ऐसी कक्षाओं में भविष्य की पीढ़ियों का निर्माण होगा। मुझे बताया गया है कि भारत सरकार के सहयोग से मॉरिशस में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए कार्य प्रगति पर है। इनमे मेट्रो परियोजना हमारे आपसी सहयोग की नई और महत्वपूर्ण कड़ी है। हमे विश्वास है कि इन परियोजनाओं से मॉरिशस के नागरिकों का जीवन और बेहतर बन सकेगा।
  3. भारत और मॉरिशस के संबंधों में भारतीय मूल के लोगों के विशिष्ट स्थान को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 14वें प्रवासी भारतीय दिवस 2017 के अवसर पर मॉरिशस के भारतीय मूल के सभी नागरिकों और उनसे वैवाहिक संबंधों से जुड़े सभी लोगों को ओ.सी.आई. कार्ड के लिए विशेष व्यवस्था की है। मुझे खुशी है कि मॉरिशस के नागरिक इस योजना में अपनी रूचि दिखा रहे हैं और बड़ी संख्या में इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।

भाइयों और बहनों!

  1. भारत और मॉरिशस को मैं दो बड़े संयुक्त परिवारों के रूप में देखता हूं, जहां विभिन्न भाषा और धर्म के लोग शांति और सद्भावना के साथ रहते हैं। विभिन्नता में एकता हमारी सांस्कृतिक पहचान रही है। दोनों देशों ने एक जैसे आदर्शों और सपनों के आधार पर विकास की नींव रखी। दोनों की संस्कृति उदारता और पूरे विश्व को एक परिवार समझने की सोच पर आधारित है। यही सोच हम दोनों देशों की सबसे बड़ी शक्ति है और इसी आन्तरिक शक्ति के बल पर आज हम विश्व में अपनी पहचान बना सके हैं। आज जरूरत इस बात की है कि हम अपनी इस शक्ति को, इस ताकत को बचाए रखें और समस्त विश्व की भलाई करें, जिससे लोग अनुभव करें कि पूरी मानवता एक है।
  2. मैंने अपनी यात्रा के दौरान आप सभी मॉरीशस के लोगों के दिलों में भारत के प्रति गहरे लगाव और विश्वास का अनुभव किया है। मैं यह बताना चाहूंगा कि हम भारत-वासियों के दिलों में भी मॉरीशस के आप सभी निवासियों के लिए अपनेपन की यही भावना गहराई के साथ बनी रहती है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे दोनों देशों की यह मित्रता और भी मजबूत होगी। और दोनों देशों के हिन्दी प्रेमी इस प्रगाढ़ता को बढ़ाने में सहयोग करते रहेंगे।

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