नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में तुर्की गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री रिसेप तईप एर्डोगन और श्रीमती एमिन एर्डोगेन का स्वागत किया। उन्होंने उनके सम्मान में एक प्रीतिभोज का भी आयोजन किया।
राष्ट्रपति महोदय ने तुर्की के राष्ट्रपति की भारत की उनकी पहली राजकीय यात्रा का स्वागत करते हुए अक्टूबर, 2013 में उनकी तुर्की की यात्रा का स्मरण किया। राष्ट्रपति महोदय ने विश्वास जताया कि राष्ट्रपति एर्डोगन की राजकीय यात्रा भारत और तुर्की के बीच द्विपक्षीय सहयोग को नई प्रेरणा देगी।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि आतंकवाद हमारे समाजों के लिए एक बड़ा खतरा है। भारत एक स्वर से आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है। हमारा विश्वास है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस खतरा का सामना करने के लिए घनिष्ठतापूर्वक आपस में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा सामूहिक, समन्वित कार्रवाई अब टाली नहीं जानी चाहिए।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि उन्हें ये जान कर बहुत खुशी हुई है कि भारत और तुर्की के बीच पिछले 10 वर्षों के दौरान द्विपक्षीय व्यापार कारोबार कई गुना बढ़ गया है। वर्तमान में यह लगभग पांच बिलियन डॉलर के स्तर पर है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार कारोबार क्षमता इससे कहीं अधिक है। हमारे व्यावसायिक समुदाय एवं दोनों देशों के निवेशकों को वर्तमान अवसरों का लाभ उठाने के लिए सक्रियतापूर्वक एकजुट होकर काम करना चाहिए।
इसके बाद, अपने प्रीतिभोज संबोधन में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत और तुर्की के बीच रिश्ते दो आधुनिक और स्वतंत्र देशों के रूप में हमारे राजनयिक संबंधों की स्थापना से बहुत पहले से बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि सदियों पहले से और अपने साझा इतिहास के जरिए यह रिश्ता बना है और प्रगाढ़ हुआ है। भारतीय कला और स्थापत्य, हमारी भाषा, राजनीतिक और सैन्य संगठनात्मक संरचना, जिसका विकास हमारे देश में हुआ, हमारे कुछ कानून, परिधान, रीति-रिवाज और पाक कला में तुर्की का योगदान बेमिसाल है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि एक वैश्वीकृत दुनिया में दो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हम वर्तमान अवसरों का लाभ उठाने के लिए अपने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की कामना करते हैं। भारत के हाल के आर्थिक सुधारों और प्रमुख पहलों ने हमें एक आकर्षक व्यवसाय गंतव्य बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत, तुर्की की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करने, विशेष रूप से ढांचागत क्षेत्र में जहां उनकी असाधारण विशेषज्ञता है, का स्वागत करता है। इसी प्रकार, हम भारतीय कंपनियों को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे तुर्की में संभावनाओं की तलाश करें।