नई दिल्ली: भारत ने ‘पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना’ के लिए विश्व बैंक के साथ 24.64 मिलियन अमेरिकी डालर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (जीईएफ) अनुदान समझौते किया है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार खरे और विश्व बैंक के भारत में कार्यकारी कंट्री डायरेक्टर हिशम एबदो काहिन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये। भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) की ओर से अनुसंधान उप महानिदेशक डॉ. नीलू गेरा, मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अपर प्रधान प्रमुख वन संरक्षक श्री अमिताभ अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अपर प्रधान प्रमुख वन संरक्षक श्री आर. बी. पी. सिन्हा ने विश्व बैंक के भारत में कार्यकारी कंट्री डायरेक्टर के साथ परियोजना समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
परियोजना 24.64 मिलियन अमेरिकी की डालर है। इसका वहन पूर्ण रूप से विश्व बैंक का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (जीईएफ) ट्रस्ट फंड करेगा। परियोजना की अवधि 5 वर्ष है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के माध्यम से हरित भारत के राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस परियोजना का कार्यान्वयन करेगा। इस परियोजना का लक्ष्य वन विभागों और सामुदायिक संगठनों की संस्थागत क्षमता में मजबूती लाना, वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को समृद्ध करना और मध्य भारत के उच्च क्षेत्रों में वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।