नई दिल्लीः भारत में रूस के राजदूत श्री निकोले रिशातोविच कूदाशेव ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजीजू से भेंट की। वर्ष 2015 में अप्रवासी मंत्रियों की बैठक के दौरान रूस में सोची की अपनी यात्रा को याद करते हुए श्री रिजीजू ने जोर देकर कहा कि भारत और रूस के बीच मैत्रीपूर्ण और मजबूत संबंध हैं। श्री रिजीजू ने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए हर संभव सहयोग देने का आश्वासन दिया ताकि विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी और सहयोग निर्मित करने के लिए द्विपक्षीय संबंधों का लाभ उठाया जा सके।
इस बात को दोहराते हुए कि दोनों देशों के संबंध दो बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है, रूसी राजदूत ने दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत संपर्क बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपसी सहयोग बढ़ रहा है और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों में भी सहयोग का स्तर बढ़ा है। उन्होंने दोनों देशों के बीच भविष्य में सहयोग के लिए और अधिक अवसरों की संभावना तलाशने का आग्रह किया।
श्री रिजीजू ने कहा कि भारत और रूस विभिन्न रूपों में कट्टरपंथ और आतंकवाद की धमकी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद की बुराई से निपटने के लिए वैश्विक संघर्ष में दोनों देश एक साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस बुराई को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय का सहयोग भी महत्वपूर्ण है।
आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर श्री रिजीजू ने देश में सुरक्षा की स्थिति से निपटने में भारत सरकार के बहुविध दृष्टिकोण से अवगत कराया। जाली मुद्रा और समाज विरोधी तत्वों के बीच धन पहुंचने पर अंकुश लगाकर प्रधानमंत्री द्वारा विमुद्रीकरण के फैसले से आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों को बल मिला है और इससे बिखराव पैदा करने वाली ताकतें हतोत्साहित हुई हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने पिछले तीन वर्ष में काफी मजबूती से विद्रोही गतिविधियों पर अंकुश लगाया है। रिजीजू ने कहा कि मुस्लिम आबादी का दूसरा सबसे बड़ा स्थान होने के बावजूद सामुदायिक नेताओं और माता पिता के विवेक के कारण भारत में आईएसआईएस का प्रभाव बेहद कम है।
रूसी राजदूत ने दोनों देशों के बीच सहयोग के बारे में प्रस्तावित समझौतों का जिक्र किया। दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया।