नई दिल्ली: भारत एशिया एवं अफ्रीका के 19 देशों में अवैध वन्य जीवन व्यापार की समस्या पर ध्यान देने के लिए विश्व बैंक एवं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के साथ संयुक्त रूप से वैश्विक वन्य जीवन कार्यक्रम (जीडब्ल्यूपी) की मेजबानी करेगा। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. हर्षवर्धन 2 अक्तूबर को वैश्विक वन्य जीवन कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। आज यहां संवाददाताओं को वैश्विक वन्य जीवन कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत स्थानीय समुदायों को शामिल करने के जरिये वन्य जीवन प्रबंधन में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। यह बताते हुए कि कोई भी कार्यक्रम केवल सरकारी नीतियों की बदौलत ही सफल नहीं हो सकता, मंत्री महोदय ने कहा कि समाज के स्तर पर लोगों की भागीदारी से ही सफलता हासिल की जा सकती है। डा. हर्षवर्धन ने कहा कि ‘ राष्ट्रीय पार्कों एवं अभयारण्यों के आस पास रहने वाले पांच करोड़ लोग पर्यावरण संरक्षण में साझीदारों के रूप में काम कर रहे हैं।‘ मंत्री महोदय ने बताया कि लोगों की भागीदारी पर विशेष फोकस के साथ, एक 15 वर्षीय राष्ट्रीय वन्य जीवन कार्य योजना (2017-31) भी 2 अक्तूबर को आरंभ की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सम्मेलन वन्य जीवन में अवैध शिकार का मुकाबला करने तथा वन्य जीवन संरक्षण पर शासन को बेहतर बनाने के लिए जानकारी का आपस में आदान प्रदान करने एवं जमीनी स्तर पर किए गए कार्य पर समन्वय करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। डा. हर्षवर्धन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि वास्तव में गैंडों, बाघों एवं हाथियों की संख्या में बढोतरी हो रही है।
मंत्री महोदय ने कहा कि अभी तक वन्य जीवन से संबंधित योजनाएं एवं कार्यक्रम राष्ट्रीय पार्कों एवं अभयारण्यों से संबंधित रहते थे। बहरहाल, अब रणनीतियां एवं कार्यक्रम क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर आधारित होंगे। डा. हर्षवर्धन ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन जैसे मुद्वों का वन्य जीवन क्षेत्रों के आस पास रहने वाले लोगों एवं वन्य जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की भी चर्चा की जाएगी।
‘ वन्य जीवन सप्ताह’ के साथ साथ आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन की विषय वस्तु वन्य जीवन संरक्षण में लोगों की भागीदारी है। यह बैठक भारत एवं 18 जीडब्ल्यूपी देशों के बीच वन्य जीवन के निवासियों के बेहतर प्रबंधन और मानव-वन्य जीवन संघर्ष की स्थितियों को न्यूनतम करने में आपसी सहयोग को और मजबूत बनाएगा। यह भारत को अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए अपने प्रवर्तन तंत्र को और मजबूत बनाने में भी सक्षम बनाएगा।
इस बैठक में 19 जीडब्ल्यूपी देशों के वन्य जीवन विशेषज्ञ, चिकित्सक, भारत के वन्य एवं संरक्षण क्षेत्रों के सरकारी प्रतिनिधि, पर्यावरण एवं जैवविविधता संरक्षण से संबंधित अग्रणी कंपनियां, सिविल सोसाइटी संगठन और स्कूली बच्चे भाग लेंगे।