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भेड़-बकरीपालकों की एक दिवसीय कार्यशाला एवं ऊन क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोेजन का शुभारम्भ करते हुएः मुख्य सचिव

भेड़-बकरीपालकों की एक दिवसीय कार्यशाला एवं ऊन क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोेजन का शुभारम्भ
उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड, देहरादून के तत्वाधान में भेड़-बकरीपालकों की एक दिवसीय कार्यशाला एवं ऊन क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोेजन होटल अजन्ता काॅन्टिनेन्टल, राजपुर रोड, देहरादून में आयोजित किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि मुख्य सचिव एस0 रामास्वामी, उत्तराखण्ड शासन, विशिष्ट अतिथि श्रीमती मनीषा पंवार, प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, मध्यम एवं लद्यु उद्यम, उत्तराखण्ड शासन एवं डा0 आर0 मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव, पशुपालन, उत्तराखण्ड शासन थे। इसके अतिरिक्त कै0 आलोक शेखर तिवारी, अपर सचिव, पशुपालन, उत्तराखण्ड शासन थे।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि द्वारा उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के “Uttarakhand Wool” के ब्राॅण्ड Logo का अनावरण किया गया। साथ ही “Uttarakhand Wool Tracking System” को भी स्ंनदबी किया गया। इस अवसर पर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि उत्तराखण्ड प्रदेश में भेड-बकरीपालकों की जो भी समस्या है उसका प्रथमिकता से समाधान किया जाना चाहिए तथा इसके लिए ठोक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए।

डा0 अविनाश आनन्द, मुख्य अधिशासी अधिकारी, उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड, देहरादून द्वारा कार्यशाला में उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा भेड़-बकरीपालकों के हितार्थ संचालित योजनाओं की विस्तृृत जानकारी प्रदान की गयी। उन्होने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड में लगभग 4 लाख भेड़ों से 5 लाख कि0ग्रा0 से अधिक ऊन प्रतिवर्ष उत्पादित होती है। राज्य के सुदूरवर्ती सीमान्त पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका का मुख्य साधन भेड़-बकरी पालन है। पूर्व में ऊन क्रय-विक्रय की समुचित व्यवस्था न होने के कारण भेड़-बकरी पालकों की कठिनाईयों के निराकरण हेतु उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा मशीन द्वारा ऊन कतरन एवं ऊन क्रय की योजना तैयार की गयी है। प्रत्येक वर्ष पर्वतीय क्षेत्रों में परम्परागत 42 ऊन कतरन स्थलों पर मशीन शियरिंग शिविर आयोजित कर भेड़पालकों से ऊन क्रय की जायेगी। ऊन की गुणवत्ता के आधार पर ऊन की निर्धारित धनराशि सीधे भेड़पालकों के खाते में जमा की जायेगी। क्रय की गयी ऊन को साफ-सुथरा कर ग्रेडिंग करके एवं प्रयोगशाला जांच के पश्चात “Uttarakhand Wool” के ब्राॅण्ड के नाम से विपणन किया जायेगा। ऊन की कीमत निर्धारण में पारदर्शिता एवं विक्रय लाभांश हेतु Online “Uttarakhand Wool Tracking System” का उपयोग किया जायेगा।
कार्यशाला में डा0 एस0 एस0 बिष्ट निदेशक, पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड ने अपने स्वागत सम्बोधन में राज्य में भेड़-बकरी विकास की असीमित सम्भावनाओं के ऊपर प्रकाश डाला।

कार्यशाला में अन्य राज्यों से आये अतिथियों में कर्नाटक राज्य से कर्नाटक शीप एण्ड वूल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन लि. के प्रबन्ध निदेशक, डा0 टी0 शिवरामा भट्ट, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार से निदेशक, श्री वी0 के0 कोहली, राजस्थान से डा0 प्रदीप सारस्वत, अपर निदेशक, जम्मू कश्मीर से डा0 सैयद मोईन उल हक, हिमाचल प्रदेश से डा0 मुनीष बूट्टा, जयपुर ऊन उद्योग से श्री विकास मोहत्ता, बीकानेर से श्री गोविन्द राम वीर, हरियाणा ऊन एसोशिऐशन के महासचिव श्री शशंाक अग्रवाल, पानीपत ऊन मण्डी से श्री नवल किशोर, श्री सोनू, देहरादून के ऊन व्यापारी श्री अतुल अग्रवाल, सहारनपुर से श्री जग्गा पाल आदि ने प्रतिभाग किया।

नाबार्ड देहरादून के मुख्य महाप्रबन्धक श्री डी.एन. मगर, यूसैक के वैज्ञानिक डा0 गजेन्द्र सिंह, भेड़ एवं बकरीपालक वेलफेयर एशोसिऐशन के वाईस प्रेजीडेन्ट श्री मोनिस काजी, ग्रीन पीपुल पंतवाड़ी संस्था की ओर से श्री रूपेश राॅय, पशुचिकित्सा अधिकारी काण्डीखाल टिहरी से डा0 मनीका ने कार्यशाला में अपने विचार रखे।

कार्यशाला में राज्य के सुदूर जनपदों से आये लगभग 100 से अधिक भेड़-बकरीपालकों ने विभिन्न विषयों पर जानकारी प्राप्त की एवं ऊन क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में अन्य राज्यों से आये प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया।

पशुपालन विभाग के अपर निदेशक, संयुक्त निदेशक एवं पशुचिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की ओर से डा0 अशोक बिष्ट, डा0 मनीष पटेल, एवं डा0 पूजा कुकरेती ने कार्यक्रम के आयोजन में प्रतिभाग किया। कार्यशाला में विभिन्न विभागीय संस्थाओं एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा स्टाॅल लगाया गया। कार्यक्रम का संचालन डा0 आशुतोष जोशी एवं डा0 पूजा कुकरेती ने किया।

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