नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कृषि क्षेत्र में छतरी योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’को 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे यानी 2017-18 से 2019-20 तक जारी रखने को अपनी स्वीकृति दे दी है। इसमें कुल केंद्रीय हिस्सा 33,269.976 करोड़ रूपये का है।
छतरी योजना में 11 योजनाएं/मिशन शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य समग्र और वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाकर तथा उत्पाद पर बेहतर लाभ सुनिश्चत करके किसानों की आय बढ़ाना है। ये योजनाएं 33,269.976 करोड़ रूपये के व्यय के साथ तीन वित्तीय वर्षों यानी 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए जारी रहेंगी।
3. छतरी योजनाओं के हिस्से के रूप में निम्नलिखित योजनाएं हैं –
- बागबानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच) – 7533.04 करोड़ रूपये के कुल केंद्रीय हिस्से के साथ एमआईडीएच का उद्देश्य बागबानी उत्पादन बढ़ाकर, आहार सुरक्षा में सुधार करके तथा कृषि परिवारों को आय समर्थन देकर बागबानी क्षेत्र के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है।
- तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमओओपी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में कुल केंद्रीय हिस्सा 6893.38 करोड़ रूपये का है। इसका उद्देश्य देश के चिन्हित जिलों में उचित तरीके से क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता बढ़ाकर चावल, गेंहू, दालें, मोटे अनाज तथा वाणिज्यिक फसलों का उत्पादन बढ़ाना है। यह कार्य व्यक्तिगत कृषि स्तर पर मिट्टी की उर्वरता तथा उत्पादकता बहाल करके और कृषि स्तरीय अर्थव्यवस्था बढ़ाकर किया जाएगा। इसका एक और उद्देश्य खाद्य तेलों की उपलब्धता को सुदृढ़ बनाना और खाद्य तेलों के आयात को घटाना है ।
- सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) में 3980.82 करोड़ रूपये का कुल केंद्रीय हिस्सा है। एनएमएसए का उद्देश्य विशेष कृषि परिस्थितिकी में एकीकृत कृषि, उचित मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकी के मेलजोल से सतत कृषि को प्रोत्साहित करना है।
- 2961.26 करोड़ रूपये के कुल केंद्रीय हिस्से के साथ कृषि विस्तार पर उप मिशन (एसएमएई) का उद्देश्य राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों आदि की जारी विस्तार व्यवस्था को मजबूत बनाना, खाद्य और आहार सुरक्षा हासिल करना तथा किसानों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण करना है ताकि कार्यक्रम नियोजन और क्रियान्वयन व्यवस्था संस्थागत बनाई जा सके, विभिन्न हितधारकों के बीच कारगर संपर्क कायम किया जा सके, मानव संसाधन विकास को समर्थन दिया जा सके तथा इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया, अंतर व्यक्तिगत संचार और आईसीटी उपायों को नवाचारी बनाया जा सके।
- बीज तथा पौध रोपण सामग्री पर उप मिशन में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 920.6 करोड़ रूपये की है। इसका उद्देश्य प्रमाणित/गुणवत्ता संपन्न बीज का उत्पादन बढ़ाना, एसआरआर में वृद्धि करना, कृषि से बचे बीजों की गुणवत्ता को उन्नत करना, बीज प्रजनन श्रृंखला को मजबूत बनाना, बीज उत्पादन में नए टेक्नॉलोजी और तौर-तरीकों को प्रोत्साहित करना, प्रसंस्करण परीक्षण आदि को बढ़ावा देना है।इसका उद्देश्य बीज उत्पादन भंडारण, प्रमाणिकरण तथा गुणवत्ता के लिए संरचना को मजबूत और आधुनिक बनाना है।
- कृषि मशीनीकरण पर उपमिशन (एसएमएएम) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 3250 करोड़ रूपये की है। एसएमएएम का उद्देश्य छोटे और मझौले किसानों तक कृषि मशीनीकरण पहुंच में वृद्धि करना, उन क्षेत्रों में कृषि मशीनीकरण बढ़ाना जहां कृषि बिजली की उपलब्धता कम है, जमीन के छोटे पट्टे और व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण होने वाले आर्थिक नुकसानों की भरपाई के लिए ‘कस्टम हायरिंग सेंटरों’को प्रोत्साहित करना, उच्च तकनीकी और उच्च मूल्य के कृषि उपकरणों का केंद्र बनाना, प्रदर्शन और क्षमता सृजन गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों में जागरूकता कायम करनाऔर देशभर में स्थापित निर्दिष्ट परीक्षण केंद्रों पर प्रमाणिकरण और प्रदर्शन, परीक्षण सुनिश्चित करना है।
- पौध संरक्षण और पौधों के अलगाव पर उपमिशन (एसएमपीपीक्यू) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 1022.67 करोड़ रूपये की है। एसएमपीपीक्यू का उद्देश्य कीड़े-मकोड़ों, बीमारियों, अनचाहे पौधों, छोटे किटाणुओं और अन्य किटाणुओं आदि से कृषि फसलों तथा उनकी गुणवत्ता को होने वाले नुकसान को कम करना है। इसका उद्देश्य बाहरी प्रजाति के कीड़े-मकोड़ों के हमलों से कृषि जैव सुरक्षा करना और विश्व बाजार में भारतीय कृषि सामग्रियों के निर्यात में सहायता करना और संरक्षण रणनीतियों के साथ श्रेष्ठ कृषि व्यवहारों को प्रोत्साहित करना है।
- कृषि गणना, अर्थव्यवस्थाएं तथा सांख्यिकी पर एकीकृत योजना (आईएसएसीईएस) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 730.58 करोड़ रूपये की है। इसका उद्देश्य कृषि गणना करना, प्रमुख फसलों की उपज/लागत का अध्ययन करना, देश की कृषि आर्थिक समस्याओं पर शोध अध्ययन करना, कृषि सांख्यिकी के तौर-तरीकों में सुधार करना और फसल रोपण से लेकर फसल के काटे जाने तक की स्थिति के बारे में अनुक्रमिक सूचना प्रणाली बनाना है।
- कृषि सहयोग पर एकीकृत योजना (आईएसएसी) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 1902.636 करोड़ रूपये की है। इसका उद्देश्य सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करनाऔर कृषि विपणन, प्रसंस्करण, भंडारण, कम्प्यूटरीकरण और कमजोर वर्गों के लिए कार्यक्रमों में सहकारी विकास में तेजी लाना है। इसका और उद्देश्य कपास उपादकों को उनके उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना तथा विकेंद्रीकृत बुनकरों को उचित दरों पर गुणवत्ता संपन्न रूई की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
- कृषि विपणन पर एकीकृत योजना (आईएसएएम) में कुल केंद्रीय हिस्सेदारी 3863.93 करोड़ रूपये की है। इसका उद्देश्य कृषि विपणन संरचना विकसित करना, कृषि विपणन संरचना में नवाचार तथा नवीनतम प्रौद्योगिकी तथा स्पर्धी विकल्पों को प्रोत्साहित करना है। आईएसएएम का उद्देश्य कृषि उत्पादों के श्रेणीकरण, मानकीकरण और गुणवत्ता प्रमाणिकरण के लिए संरचना सुविधा उपलब्ध कराना, राष्ट्रीव्यापी विपणन सूचना नेटवर्क स्थापित करना तथा कृषि सामग्रियों के अखिल भारतीय व्यापार के लिए साझा ऑनलाइन बाजार प्लेटफॉर्म के जरिए बाजारों को एकीकृत करना है।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस (एनईजीपी-ए) में केंद्र की कुल हिस्सेदारी 211.06 करोड़ रूपये की है और इसका उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत किसान और किसान केंद्रित सेवाओं को लाना है। इस योजना का उद्देश्य विस्तार सेवाओं की पहुंच और प्रभाव को बढ़ाना, पूरे फसल चक्र में सूचनाओं और सेवाओं तक किसानों की सेवाओं में सुधार करना, केंद्र और राज्य की वर्तमान आईसीटी पहलों को बढ़ाना और एकीकृत करना और किसानों उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को समय पर प्रासंगिक सूचना उपलब्ध कराकर कार्यक्रमों की क्षमता और प्रभाव में वृद्धि करना है।
इन योजनाओं/मिशनों का फोकस उत्पादन संरचना सृजन/सुदृढीकरण , उत्पादन लागत में कमी और कृषि तथा संबंद्ध उत्पाद के विपणन पर है। ये योजनाएं/मिशन अलग-अलग अवधि के लिए पिछले कुछ वर्षों से क्रियान्वित की जा रही हैं।
इन सभी योजनाओं/मिशनों को अलग योजना/मिशन के रूप में अवगत कराया गया और स्वतंत्र रूप से स्वीकृत किया गया। वर्ष 207-18 में यह निर्णय लिया गया है कि इन सभी योजनाओं/मिशनों को एक छतरी योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ के अंतर्गत लाया जाए।