नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पारम्परिक चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और साउ तोमे तथा प्रिंसीपे के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से अपनी मंजूरी दे दी। समझौता ज्ञापन पर मार्च, 2018 में हस्ताक्षर किए गए थे।
प्रमुख प्रभावः
समझौता ज्ञापन से पारम्परिक चिकित्सा पद्धति के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ेगा। यह साझी सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए दोनों देशों के लिए काफी लाभकारी होगा।
कार्यान्वयन, रणनीति और लक्ष्यः
हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की प्रति प्राप्त होने के बाद दोनों पक्षों के बीच गतिविधियां शुरू होंगी। दोनों देशों द्वारा की जाने वाली पहलें हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की शर्तों के अनुसार होंगी और समझौता ज्ञापन के संचालन तक निरंतर प्रक्रिया होगी।
पृष्ठभूमिः
भारत को औषाधीय पौधों सहित अति-विकसित पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली विरासत में मिली है जो विश्व स्वास्थ्य परिदृश्य में अपार क्षमता रखती है।
भारत गणराज्य के आयुष मंत्रालय को आयुर्वेद, योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोआ-रिगपा तथा होम्योपैथी को प्रोत्साहित प्रचारित और वैश्विक रूप देने का दायित्व दिया गया है। मंत्रालय ने मलेशिया सरकार, त्रिनिदाद और टोबेगो सरकार, हंगरी सरकार, बांग्लादेश की सरकार, नेपाल सरकार, मॉरिशस सरकार, मंगोलिया सरकार तथा ईरान की सरकार के साथ पारम्परिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन करके कारगर कदम उठाए हैं। श्रीलंका सरकार के साथ एक अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का प्रस्ताव है।