नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत संचार निगम लिमिटेड के मोबाइल टॉवर संसाधनों को बीएसएनएल की पूर्ण स्वामित्व वाली एक अलग कम्पनी में सम्मिलित करने को अपनी मंजूरी दे दी है।
इस मंजूरी से बीएसएनएल एक अलग सहायक कंपनी बनाकर अपनी दूर-संचार टावर और संरचना तैयार करने के लिए अधिकृत हो गया है।
देश में लगभग 4,42,000 मोबाइल टावर हैं, जिसमें से 66,000 से भी अधिक मोबाइल टावर बीएसएनएल के हैं। बीएसएनएल की एक स्वतंत्र, समर्पित टावर कंपनी की केंद्रित पहुंच से बाहरी किराए में वृद्धि होने के साथ-साथ नई कम्पनी के लिए अधिक धन अर्जित होगा।
पृष्ठभूमि:
दूरसंचार टावर उद्योग बुनियादी सुविधा की हिस्सेदारी के लिए संभावना से लाभ प्राप्त करने हेतु एक स्वतंत्र व्यवसाय के रूप में उभरा है। व्यवसाय का यह प्रारूप, ऊंची अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की जरूरत और मोबाइल सेवा प्रदान करने में पूंजीगत निवेश में कमी लाने की सोच से उत्पन्न हुआ है। दूरसंचार विभाग की नीति सकारात्मक सुविधा की हिस्सेदारी की अनुमति देती है, जैसे – टावर संरचना, डीज़ल जनरेटर सेट, बैट्री यूनिट, पावर इन्टरफेस यूनिट, एयर कंडीशन आदि, जिससे दूरसंचार और संरचना उद्योग के विकास में आसानी हुई है। एक टावर और संरचना कंपनी अनिवार्य रूप से सकारात्मक अवसंरचना संसाधन की स्वामी होती है और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को पट्टे पर उपलब्ध कराती है ताकि वे बार-बार के निवेश से बचें और संचालन तथा रखरखाव की लागत पर अधिक धन लाभ प्राप्त कर सकें तथा उनका मुनाफा बढ़े।
बीएसएनएल और एमटीएनएल के मॉडल के अलावा, जिसमें सेवा प्रदाता अपनी सकारात्मक अवसंरचना के भी स्वामी होते है, दूरसंचार टावर उद्योग में तीन भिन्न व्यवसाय प्रारूप होते है:- ऐसी कंपनियां जो सेवा प्रदाताओं के टावर संसाधन पोर्टफोलियो को सहायक कंपनियों में शामिल करके तैयार हुई हैं, सेवा प्रदाताओं द्वारा संयुक्त रूप से स्वतंत्र संयुक्त उपक्रम के रूप में स्थापित कंपनियां और ऐसी कंपनियां जो विशेष सेवा प्रदाताओं द्वारा आगे लाई गई है किन्तु टावर कंपनी के लिए एक प्रमुख किराएदार होने के कारण प्रोमोटर के साथ स्वतंत्र कारोबार के रूप में स्थापित हुई है।
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