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मंत्रिमंडल ने वर्ष 2019-20 तक कृषि विज्ञान केंद्रों की निरंतरता, सुदृढ़ीकरण और स्‍थापना को मंजूरी दी

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 31 मार्च 2017 तक स्‍थापित 669 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों (केवीके) एवं 11 कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्‍थानों (एटीएआरआई) की वर्ष 2019–20 तक निरंतरता/सुदृढ़ीकरण, कृषि विश्‍वविद्यालयों (एयू) के विस्‍तार शिक्षा निदेशालयों (डीईई) और इस योजना से जुड़े सभी विशेष कार्यक्रमों को सहायता देने और 12वीं योजना में पहले ही मंजूर किये जा चुके 76 केवीके की स्‍थापना करने संबंधी कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है।

      वित्‍तीय परिव्यय :

      वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2020 तक की अवधि के लिए केवीके योजना [कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय (डीकेएमए) सहित] का वित्‍तीय परिव्‍यय 2,82,400.72 लाख रुपये का होगा।

      विवरण :

      केवीके विभिन्‍न जिलों में कृषि क्षेत्र में ज्ञान एवं अनुसंधान केन्‍द्र के रूप में काम करेंगे और प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं किसानों के सशक्तिकरण के मॉडलों का निर्माण करेंगे जिससे किसानों की आमदनी दोगुनी करने संबंधी भारत सरकार की पहल को आवश्‍यक सहायता सुनिश्चित होगी।

      केवीके योजना के जरिए जिन विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत की जायेगी उनमें निम्‍नलिखित शामिल हैं –

  • नई विस्‍तार कार्य पद्धतियों एवं अवधारणाओं; पोषण–संवेदी कृषि संसाधनों एवं नवाचारों (एनएआरआई) पर एक नेटवर्क परियोजना।
  • जनजातीय क्षेत्रों में ज्ञान प्रणालियों और वासभूमि कृषि प्रबंधन (क्षमता) के शीर्षक वाले कार्यक्रम।
  • कृषि में मूल्‍य वर्द्धन और प्रौद्योगिकी इन्‍क्‍यूबेशन केन्‍द्र (वाटिका)
  • कृषि नवाचार संसाधन प्रबंधन (फर्म), और
  • कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्‍द्र की स्‍थापना

इसके अलावा  वर्षा जल के संचयन, एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) के प्रसंस्‍करण, मत्‍स्‍य बीज के उत्‍पादन, आईसीटी आधारित सेवाओं, हरित कृषि और मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के सुदृढ़ीकरण के लिए भी सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्‍त दो महत्‍वपूर्ण कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई जिनमें 52 केंद्रों में ‘फार्मर फर्स्‍ट’ और 11 जिलों के लिए कृषि क्षेत्र की ओर युवाओं को आकर्षित करना एवं बनाये रखना (आर्य) शामिल हैं।

      ‘आर्य’ घटक को वर्तमान समय में केवीके के जरिए 25 राज्‍यों में क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके तहत ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास के जरिए उद्यमिता गतिविधियां शुरू करने के लिए आईसीएआर संस्‍थानों और कृषि विश्‍वविद्यालयों से प्राप्‍त तकनीकी साझेदारों के साथ प्रत्‍येक राज्‍य के एक जिले में इसे क्रियान्वित किया जा रहा है जिससे रोजगारों का सृजन हो रहा है। वर्ष 2015-16 और वर्ष 2016-17 के दौरान क्रमश: 1,100 और 4,400 युवाओं को आर्य के जरिए जोड़ा गया है। वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2020 तक की अवधि के दौरान 75 और जिलों को शामिल करते हुए 100 जिलों को कवर करने के लिए इस घटक का विस्‍तार करने की योजना बनाई गई है। किसानों के क्षमता विकास और युवाओं (हर वर्ष लगभग 14 लाख) को व्‍यावसायिक प्रशिक्षण देने से खेती-बाड़ी में सकारात्‍मक सहभागिता बढ़ेगी।

      सामंजस्‍य :

      केवीके से सामंजस्‍य स्‍थापित करना आसान हो सकता है और ये कृषि सहयोग एवं किसान कल्‍याण विभाग, पशुपालन, डेयरी एवं मत्‍स्‍य पालन विभाग, खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ विभिन्‍न स्‍कीमों जैसे कि मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन, राष्‍ट्रीय पशुधन मिशन एवं प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के जरिए कृषि एवं ग्रामीण विकास पर फोकस करने वाले अन्‍य विभागों और मंत्रालयों की अनेक योजनाओं के लिए प्रमुख एजेंसी के रूप में काम करेंगे, ताकि सूक्ष्‍म सिंचाई, एकीकृत पोषक तत्‍व प्रबंधन (आईएनएम), एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम), पशुधन प्रबंधन, प्रसंस्‍करण एवं मूल्‍य वर्द्धन और मोबाइल प्रौद्योगिकी के उपयोग, इत्‍यादि से जुड़े मसलों को सुलझाया जा सके।

पृष्‍ठभूमि :

केवीके योजना :

      केवीके योजना को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के तहत शत-प्रतिशत केंद्रीय वित्‍त पोषण के जरिए संचालित किया जा रहा है। 31 मार्च 2017 तक 669 केवीके की स्‍थापना की गई है, जो जिला स्‍तर पर कृषि विज्ञान केंद्रों के रूप में काम कर रहे हैं और जिन्‍हें प्रौद्योगिकी के आकलन और इसके विभिन्‍न अनुप्रयोगों एवं क्षमता विकास को प्रदर्शित करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। केवीके की गतिविधियों में प्रौद्योगिकियों का खेतों में परीक्षण एवं प्रदर्शन करना, किसानों एवं विस्‍तार कर्मियों का क्षमता विकास करना, कृषि प्रौद्योगिकियों के एक ज्ञान एवं अनुसंधान केन्‍द्र के रूप में कार्य करना और किसानों के हित वाले विभिन्‍न विषयों पर आईसीटी तथा अन्‍य मीडिया साधनों का उपयोग कर कृषि परामर्श जारी करना शामिल हैं। इसके अलावा, केवीके गुणवत्‍तापूर्ण प्रौद्योगिकी उत्‍पादों (बीज, रोपण सामग्री, बॉयो–एजेंट, पशुधन) का उत्‍पादन करते हैं एवं इन्‍हें किसानों को उपलब्‍ध कराते हैं, विस्‍तार गतिविधियां आयोजित करते हैं, चयनित कृषि नवाचारों की पहचान करने के साथ साथ उनका प्रलेखन करते हैं और पहले से ही जारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के साथ सामंजस्‍य सुनिश्चित करते हैं।

डीकेएमए :

कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय (डीकेएमए) को प्रिंट, इलेक्‍ट्रॉनिक एवं वेब मोड में मूल्‍य वर्द्धित सूचना उत्‍पादों के जरिए कृषि ज्ञान एवं सूचनाओं के प्रचार-प्रसार के साथ साथ उन्‍हें साझा करने, कृषि ज्ञान पर ई-संसाधनों का विकास करने, वैश्विक स्‍तर पर जानकारी देने के लिए सूचनाएं उपलब्‍ध कराने, आईसीएआर के संस्‍थानों, कृषि विश्‍वविद्यालयों (एयू) तथा केवीके के बीच ई-कनेक्टिविटी के सुदृढ़ीकरण को सुविधाजनक बनाने और कृषि ज्ञान प्रबंधन तथा संचार के लिए क्षमता निर्माण करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है।

केवीके के तहत उपलब्धियां :  

      नियमित निर्धारित गतिविधियों के अलावा 12वीं योजना के दौरान केवीके की कुछ उल्‍लेखनीय गतिविधियों में 97 दाल बीज केन्‍द्रों की स्‍थापना करना एवं दालों पर 1,11,150 प्रौद्योगिकी प्रदर्शन आयोजित करना (जिससे वर्ष 2016-17 में दालों का रिकॉर्ड उत्‍पादन संभव हो पाया), जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से कठिन माने जाने वाले विभिन्‍न क्षेत्रों में 151 जलवायु स्‍मार्ट गांवों की स्‍थापना कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना एवं इनमें कमी करने संबंधी रणनीतियां क्रियान्वित करना, राज्‍य सरकारों द्वारा अपनाये जा रहे इच्छित नियुक्ति‍ केंद्र का एक सफल मॉडल विकसित करना, विशेषकर सोयाबीन के रोपण (मध्‍य प्रदेश में 3 मिलियन हेक्‍टेयर) के लिए कृषि के संरक्षण एवं शून्‍य जुताई, लेजर भूमि समतल एवं हैप्‍पी सीडर (पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश एवं बिहार) सहित संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सुविधा प्रदान करना, मृदा के स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में किसानों को शिक्षित करने और मृदा परीक्षण प्रक्रिया में कृषि विद्यार्थियों को शामिल करने के लिए केवीके स्‍तर पर सामंजस्‍य प्‍लेटफॉर्म सृजित करना, ‘मेरा गांव मेरा गौरव’ पहल के तहत अनुसंधान प्रणाली से 13500 गांवों को जोड़ना, ‘कृषि में युवाओं को आकर्षित करना एवं बनाये रखना (आर्य)’ शीर्षक वाले कार्यक्रम के तहत आर्थिक उद्यम शुरू करने के लिए 4400 युवाओं को सशक्‍त बनाना और ‘फार्मर फर्स्‍ट परियोजना’ के तहत सहभागितापूर्ण प्रौद्योगिकी अनुपालन प्रक्रिया में 20000 किसान परिवारों को जोड़ना शामिल हैं।

      100 केवीके ने कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है तथा कौशल विकास मंत्रालय के सहयोग से 154 और केवीके को कौशल विकास से जोड़ा गया है। केवीके स्‍वदेशी ज्ञान और प्रथाओं को भी राष्‍ट्रीय मुख्‍य धारा में ला रहे हैं जिनमें राष्‍ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के अनुसंधान कार्यक्रमों के तहत जनजातीय क्षेत्रों में उपलब्‍ध ज्ञान एवं प्रथाएं भी शामिल हैं। पिछली योजनावधि के दौरान विभिन्‍न कमजोरियों को दूर करने के लिए विशिष्‍ट खूबियों एवं क्षमताओं से युक्‍त 5500 जर्मप्‍लाज्‍म परिग्रहण की पहचान की गई और पौध किस्‍म एवं किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण में इनका पंजीकरण किया गया। इनका उपयोग नई किस्‍मों के विकास में किया जाएगा।

केवीके सहभागितापूर्ण अवधारणा के तहत जागरूकता पैदा करने में सबसे आगे हैं। 564 केवीके द्वारा हाल ही में आयोजित ‘संकल्‍प से सिद्धि’ कार्यक्रम में पांच लाख किसानों के साथ 49 केंद्रीय मंत्रियों, 284 सांसदों, राज्‍य सरकारों के 111 मंत्रियों, 300 विधायकों और बड़ी संख्‍या में सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी शिरकत की थी।

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