नई दिल्ली: केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में अभी तक भारत का विदेशी सेक्टर समुत्थानशील और सशक्त बना हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम
वैश्विक अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है और इसके 2016 के 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 3.6 प्रतिशत और 2018 में 3.7 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो आईएमएफ द्वारा दिए गए पिछले अनुमानों में सुधार को दर्शाता है।
भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति 2013-14 से ही अच्छी बनी हुई है और वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में चालू खाते घाटे (सीएडी) में कुछ बढ़ोत्तरी के बावजूद वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में भुगतान संतुलन की स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है, जिसकी वजह दूसरी तिमाही में सीएडी में कमी रही है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 15 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.5 प्रतिशत) रहा था, जो दूसरी तिमाही में तेजी से घटकर 7.2 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) रह गया।
व्यापार घाटा
भारत का व्यापार घाटा (सीमा शुल्क के आधार पर) वित्त वर्ष 2014-15 से लगातार गिरता जा रहा था, लेकिन वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही के 43.4 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 74.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2016-17 में पीओएल और गैर पीओएल दोनों प्रकार के घाटों में कमी के साथ भारत का व्यापार घाटा 108.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। 2017-18 (अप्रैल-दिसंबर) में व्यापार घाटा (सीमा शुल्क आधार पर) 46.4 प्रतिशत बढ़कर 114.9 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जिसमें पीओएल घाटे में 27.4 प्रतिशत और गैर पीओएल घाटे में 65 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी शामिल है।
व्यापार विन्यास
2016-17 में निर्यात वृद्धि काफी हद तक वस्त्र एवं संबंधित उत्पादों और चर्म एवं चर्म विनिर्माताओं को छोड़कर सभी प्रमुख श्रेणियों में हुई सकारात्मक वृद्धि पर आधारित थी। 2017-18 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान अच्छी निर्यात वृद्धि दर्ज करने वाले बड़े सेक्टरों में इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम क्रूड एवं उत्पाद शामिल थे, वहीं रासायनिक और संबंधित उत्पाद एवं वस्त्र और संबंधित उत्पादों के निर्यात में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि प्रमुख रत्नों एवं आभूषण में नकारात्मक वृद्धि रही।
वैश्विक व्यापार में सुधार के अनुमान के साथ भारत में इस वर्ष और अगले वर्ष के लिए वैदेशिक क्षेत्र की संभावनाएं बेहतर दिखती हैं। 2017 और 2018 में वैश्विक व्यापार में क्रमशः 4.2 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का अनुमान है, जबकि 2016 में व्यापार में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। प्रमुख साझेदार देशों के साथ व्यापार में सुधार हो रहा है और भारत की निर्यात वृद्धि गति पकड़ रही है। हालांकि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से सुस्ती का जोखिम बना हुआ है। हालांकि इससे विदेश से धन प्रेषण में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है, जिसकी शुरुआत भी हो गई है। सरकार की जीएसटी, लॉजिस्टिक जैसी समर्थनकारी नीतियों और कारोबार सुगम बनाने से संबंधित नीतियों से भी आगे मदद मिल सकती है।
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