देहरादून: उत्तराखंड उत्तराखंड में मनरेगाकर्मियों के ईपीएफ की रकम जमा करने में बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। चंपावत जिले में 18 लाख रुपए की धनराशि ईपीएफ के लिए काट ली गई, लेकिन जमा नहीं की गई। लोगों से दबाव बनाकर स्टांप पेपर पर ईपीएफ नहीं काटे जाने का हलफनामा लिखवा लिया गया है।
आरटीआई से एक अपील पर सुनवाई के बाद राज्य सूचना आयोग ने इस सिलसिले में प्रदेश के मुख्य सचिव को अपील निस्तारण आदेश की कॉपी भेजकर गंभीरता से जांच कराए जाने की जरूरत महसूस की है। चंपावत जिले में टनकपुर के मोहनपुर गांव में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र खर्कवाल की शिकायत को राज्य सूचना आयोग ने गंभीरता से लिया है।
आरोप है कि उत्तराखंड कोपरेटिव सोसायटी लिमिटेड देहरादून ने 49 मनरेगा कर्मियों का ईपीएफ नहीं काटकर शोषण किया है। जिलाधिकारी चंपावत को गलत साक्ष्य और तथ्य पेश कर 18,24,000 रुपए का भुगतान प्राप्त कर भ्रष्टाचार किया गया है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इसी तर्ज पर गड़बड़ी की आशंका जताई गई है।
दरअसल इस पूरे मामले में आरटीआई कार्यकर्ता ने 8 जुलाई 2014 को तीन बिन्दुओं पर सूचना मांगी थी। जिला विकास अधिकारी चंपावत ने सूचना देने में आनाकानी की जिसके बाद मामला राज्य सूचना आयोग तक पहुंचा। आयोग के दखल के बाद सूचनाएं मिलीं, लेकिन 19 फरवरी 2015 को आपत्ति दर्ज कराई गई और आयोग ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया।
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