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महंगाई ने आरबीआई के हाथ रोके, नहीं घटाई ब्याज दरें

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आरबीआई ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुए लगातार तीसरी बार पिछले रेपो रेट को बरकरार रखा है. रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इससे पहले पिछले साल अगस्त में रेपो दर को 0.25 फीसदी घटा कर 6 फीसदी कर दिया था.

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने प्रमुख पॉलिसी दरों में कोई बदलाव न करने का फैसला किया. लिहाजा रेपो रेट 6 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. रिवर्स रेपो रेट 5.75%, मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट 6.25 और बैंक रेट 6.25 फीसदी की मौजूदा दर पर बरकरार है.

दिसंबर में रिटेल महंगाई दर केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर को लांघकर 5.21 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित रिटेल महंगाई दर 4.88 फीसदी पर रही थी. दिसंबर, 2015 में यह 3.41 फीसदी पर रही थी.

महंगाई दर बढ़ने की आशंका

मौजूदा रेपो रेट पिछले साल का निचला स्तर है. उसके बाद से केंद्रीय बैंक ने पॉलिसी दरों में बदलाव नहीं किया है. दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में महंगाई बढ़ने के आसार के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. उस समय केंद्रीय बैंक ने कहा था कि भविष्य में ब्याज दर में कटौती का विकल्प खुला खा गया है.

रेपो वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनकी फौरी जरूरत के लिए नकद-धन उधार देता है. इसके बढ़ने से बैंकों के धन की लागत बढ़ जाती है और इसका असर उनके कर्ज की दरों पर पड़ता है. दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर को लांघकर 5.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 4.88 प्रतिशत रही थी. दिसंबर, 2015 में यह 3.41 प्रतिशत पर थी.

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने महंगाई पर निगाह बनाए रखी है

विशेषज्ञों ने राजकोषीय घाटे को सीमित रखने का लक्ष्य पूरा न होने और खाद्य महंगाई में इजाफे को देखते हुए सख्त मौद्रिक नीति समीक्षा की संभावना जताई थी. दरअसल महंगाई दरों के रिजर्व बैंक के सुविधाजनक दायरे में न होने की वजह से ब्याज दरों में कटौती की हिचकिचाहट दिखाई जा रही है.

द क्विंट

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