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महात्‍मा गांधी के सत्‍याग्रह के शाश्‍वत दर्शन समाज के अंतिम व्‍यक्ति की भलाई में है: डॉ. महेश शर्मा

महात्‍मा गांधी के सत्‍याग्रह के शाश्‍वत दर्शन समाज के अंतिम व्‍यक्ति की भलाई में है: डॉ. महेश शर्मा
देश-विदेशमनोरंजन

नई दिल्ली: संस्‍कृति और पर्यटन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने कहा है कि महात्‍मा गांधी के सत्‍याग्रह के शाश्‍वत दर्शन तभी हो सकते हैं जब समाज के सबसे निचले तबके की भलाई के लिए खड़ा हुआ जाए और यही कारण है कि महात्‍मा गांधी ने अन्‍यायपूर्ण नमक कर को खत्‍म करने का आह्वान किया था। डॉ. शर्मा आज यहां डॉ. वाई.पी आनंद की पुस्‍तक ‘हिस्‍टोरिकल बैकग्राउंड टू द इम्‍पोजिशन ऑफ सोल्‍ट टैक्‍स अंडर द ब्रिटिश रूल इन इंडिया (1757-1947) एंड महात्‍मा गांधीज़ सॉल्‍ट सत्‍याग्रह (1930-31) अगेन्‍स्‍ट द ब्रिटिश रूल’ का विमोचन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन संस्‍कृति मंत्रालय, गांधी स्‍मृति और दर्शन समिति और गांधी आश्रम, साबरमती ने किया था।

     डॉ. शर्मा ने चंपारण सत्‍याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के आह्वान को दोहराया, जब उन्‍होंने राष्‍ट्र से अपील की थी कि गांधीजी को सच्‍ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने दैनिक जीवन में स्‍वच्‍छाग्रह को अपनाएं। उन्‍होंने विस्‍तार से बताया कि किस प्रकार महात्‍मा गांधी ने देश के जन साधारण को समझाने के लिए नमक को एक माध्‍यम के रूप में चुना और आजादी के जन आंदोलन का नेतृत्‍व किया। उन्‍होंने कहा कि चुटकी भर नमक आजादी का प्रतीक बन गया।

     अपनी पुस्‍तक के बारे में बताते हुए उच्‍चस्‍तरीय डांडी स्‍मारक समिति के सदस्‍य और राष्‍ट्रीय गांधी संग्रहालय के पूर्व निदेशक डॉ. वाई.पी. आनंद ने पुस्‍तक के अनुसंधान कार्य और उसके संकलन में विभिन्‍न व्‍यक्तियों के योगदान की सराहना की। ऐतिहासिक नमक सत्‍याग्रह के बारे में उन्‍होंने गांधीजी के सूक्ष्‍म दृष्टिकोण की चर्चा की, जिसने ऐसी जागरूकता पैदा की, जिसकी तरफ दुनिया का ध्‍यान आकर्षित हुआ।

     संस्‍कृति मंत्रालय की सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा ने कहा कि महात्‍मा गांधी की सत्‍याग्रह की अवधारणा किसी भी प्रकार के अन्‍याय को रोकने का एक असाधारण और अनूठा तरीका था। यही समूचे गांधीवादी सिद्धांत और दर्शन का हृदय और आत्‍मा तथा आधुनिक भारतीय राजनीति को उनका असाधारण योगदान है।

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