नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि चूंकि दूसरी हरित क्रान्ति की शुरुआत पूर्वी राज्यों से होगी, इसलिए पूर्वोत्तर में कृषि विकास की गति तेज कर इन्हें कृषि विकास की मुख्य धारा में लाना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार उत्तर-पूर्वी राज्यों में कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। कृषि मंत्री ने यह बात आज यहां मल्टी टेक्नोलॉजी टेस्टिंग सेन्टर का शिलान्यास करते हुए कही। जो कि कुल 20 करोड़ की लागत से बनाया जायेगा।
कृषि मंत्री ने इस मौके पर बताया कि राज्य में कुल 7 कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) स्वीकृत हैंजिनमें से 5 केवीके पहले से काम कर रहा है। राज्य में 8 वें कृषि विज्ञान केन्द्र के लिए स्थान चुनने के लिए कमेटी प्रदेश का दौरा कर रही है। 8वें केवीके खुल जाने से यहां प्रत्येक जिले में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हो जाएगा। कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि ये सभी केवीके, प्रदेश में कृषि की नयी विकसित तकनीक और कृषि पद्धतियों के प्रदर्शन से किसानों की क्षमता का बहुमुखी विकास करेंगे।उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य देश के सभी जिलों में कम से कम एक कृषि विज्ञान केन्द्र देना है। देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या पिछले ढाई वर्षों के 637 के मुकाबले बढ़कर 668 हो गई है। पिछले 2 वर्षो में 26 केवीके खोले गये हैं| देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में कुल 78 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं।
अगरतला त्रिपुरा में कृषि विश्वविधालय के कुलपति, राज्य सरकार के मंत्री एवं उनके अधिकारियों तथा बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र छात्राओं को सभागार में संबोधित करते हुए माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि मिट्टी का स्वास्थ्य फसल और पशुओ की उत्पादकता को प्रभावित करता है, इसलिए देश के कृषि विज्ञान केन्द्रों में मिट्टी की जांच के लिए मिनी लैब स्थापित किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्रों को मजबूत करने के लिए वहां मौजूदा स्टाफ संख्या को 16 से बढ़ाकर 22 कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि देश में अग्रिम पंक्ति प्रसार प्रणाली के तौर पर कृषि विज्ञान केन्द्र अति महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस वर्ष कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा कुल 48,983 प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये गये जिनके माध्यम से कुल 13.21 लाख किसानों और प्रसार कार्मिकों को लाभ पहुंचाया गया।
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत सरकार, पांच सालों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में इस बार के बजट में कृषि क्षेत्र के समग्र विकास पर फोकस किया गया है जिसमें किसानों को वहन करने योग्य कर्ज उपलब्ध कराने, बीजों और उर्वरकों की आपूर्ति करने, सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से उत्पादकता में सुधार लाने, तथा ई-नैम के माध्यम से एक सुनिश्चित बाजार और लाभकारी मूल्य दिलाने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में अच्छे मानसून और भारत सरकार द्वारा अनेक नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप मौजूदा वर्ष में देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। वर्ष 2016-17 के लिए दूसरे अग्रिम आकलन के अनुसार देश में कुल 271.98 मिलियन टन खाद्यान्न् उत्पा्दन का अनुमान लगाया गया है जो कि वर्ष 2013-14 में हासिल 265.04 मिलियन टन खाद्यान्न के पिछले रिकॉर्ड उत्पादन की तुलना में 6.94 मिलियन टन ज्यादा है।
कृषि मंत्री ने इस मौके पर राज्य सरकार से आग्रह किया कि केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन में त्रिपुरा को और तेजी लानी चाहिए। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत त्रिपुरा में सॉयल हेल्थ कार्ड का वितरण कम हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का पूरा लाभ भी किसानों को नहीं मिल रहा है। परम्परागत कृषि सिंचाई योजना के काम की प्रगति भी धीमी है। उन्होंने यह भी बताया कि ई नैम से जुड़ने के लिए त्रिपुरा ने अभी तक कृषि मंत्रालय को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।
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