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माननीय गृह मंत्री का हाल में सुकमा, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हुए हमले के संबंध में लोकसभा में दिया गया वक्‍तव्‍य

“एसडीआरएफ-2017 का क्षमता निर्माण” पर राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में 11 मार्च 2017 को सुकमा, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर हुए हमले के संबंध में आज लोकसभा में बयान दिया, उसका मूल पाठ निम्नलिखित है:

11 मार्च 2017 को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 2 कम्पनियाँ छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के भेजी-गोरखा-इंजीराम में सड़क निर्माण कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा हेतु तैनात थीं। लगभग 853 बजे जब सुरक्षा बल के जवान बांकुपाड़ा ग्राम से सटे जंगल में पहुँचे तो वामपंथी उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला करते हुए भारी गोलीबारी और आईईडी विस्फोटों का एक साथ इस्तेमाल किया। इस घटना में दुर्भाग्यवश 12 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये तथा 2 गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों की स्थिति स्थिर है तथा अब वे खतरे से बाहर हैं। वामपंथी उग्रवादियों ने 13 हथियार और 2 वायरलेस सेट भी अपने साथ ले गये। शहीद एवं घायल सुरक्षा कर्मियों के नाम निम्नलिखित हैं:-

शहीद सुरक्षा कर्मियों के नाम-

  1. जगजीत सिंह, निरीक्षक
  2. हीरा बल्लभ भट्ट, सहायक उप निरीक्षक
  3. नरेन्द्र सिंह, सहायक उप निरीक्षक
  4. सुरेश कुमार, सिपाही
  5. मंगेश बल पाण्डे, सिपाही
  6. रामपाल सिंह यादव, सिपाही
  7. गोरखनाथ, सिपाही
  8. नन्द कुमार अथराम, सिपाही
  9. सतीश चन्द वर्मा, सिपाही
  10. के शंकर, सिपाही
  11. पी आर मैनडेह, हवलदार
  12. जगदीश प्रसाद विश्नोई, हवलदार

घायल सुरक्षा कर्मियों के नाम-

  1. जयदेव प्रमाणिक, सिपाही
  2. मो सलीम सगल, सिपाही

मैं शहीद सुरक्षा कर्मियों के शोक संतिप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ और उन्हें (परिवारों) यह बताना चाहता हूं कि शोक की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ है। उनके बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा। घायल सुरक्षा कर्मियों को पर्याप्त और अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाएगी। मैं पूरे सदन की ओर से उनके शीघ्र स्वास्थ-लाभ की कामना करता हूँ। 

वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध सुरक्षा बलों की अप्रत्याशित कामयाबियों से वामपंथी समूहों में हड़बड़ाहट स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। वर्ष 2016 में सुरक्षा बलों ने सभी वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों, विशेषकर छत्तीसगढ में जबरदस्त सफलता प्राप्त की तथा 135 उग्रवादियों को मार गिराया, 779 को गिरफ्तार किया और 1198 ने आत्मसमर्पण किया। छत्तीसगढ में वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2016 में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 15 प्रतिशत की कमी आई है तथा हिंसक घटनाएं 466 से घटकर 395 हो गई। पिछले वर्ष के सभी आंकड़े सुरक्षा बलों की दक्षता एवं कार्यकुशलता का प्रमाण हैं, जो निम्नलिखित हैं –

(अ) वर्ष 2015 की अपेक्षा वर्ष 2016 में मारे गए वामपंथी उग्रवादियों की संख्या में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई (2015 में 89 से 2016 में बढ़कर 222)।

(ब) वर्ष 2015 की अपेक्षा वर्ष 2016 में वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई (2238 से 3282)।

(स) सुरक्षा बलों द्वारा वर्ष 2016 में सिर्फ 3 हथियार गंवाए जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या 15 थी।

(द) 67 प्रतिशत मुठभेड़ों में वामपंथी उग्रवादी मारे गए। यह संख्या वर्ष 2015 में सिर्फ 36 प्रतिशत थी।

() दक्षिण बस्तर में, जोकि वामपंथी उग्रवाद का गढ़ है, में हिंसा की घटनाओं में 22 प्रतिशत की कमी हुई (2015 में 326 से 2016 में 252)। 

वर्ष 2016 में वामपंथी उग्रवादियों को अप्रत्याशित हानि उठानी पड़ी, इसका जिक्र उन्होनें अपने बयानों एवं दस्तावेजों में खुलकर किया है। वामपंथी उग्रवादी अपने कैडरों के गिरते हुए मनोबल को बढ़ाने के प्रयास में इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने का प्रयास करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे वीर-जवान और अधिकारी इसका डटकर मुकाबला करेंगे और वामपंथी उग्रवाद का शीघ्र से शीघ्र अंत सुनिश्चित करने में अपना पूरा योगदान देगें। 

हमें इस तरह की घटना पर विशेष आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। मैंने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक को इस मामले की पूर्ण जाँच कर मुझे रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है कि इस तरह की घटना में हुई चूक की पहचान की जा सके ताकि ऐसी घटनाओं की भविष्य में पुनरावृत्ति की सम्भावनाओं को कम किया जाए।

मैंने घटना के दिन ही छत्तीसगढ जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया तथा घायलों से भी मुलाकात की। शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके परिवारजनों तक पहुँचाने की व्यवस्था कर दी गई है। जीवन की क्षति की भरपाई आर्थिक मदद से पूरी नहीं हो सकती, फिर भी शहीदों के परिजनों को केन्द्र सरकार की ओर से 35 लाख रूपये, सीआरपीएफ के रिस्क (जोखिम) निधि से 20 लाख रुपये और सीआरपीएफ कल्याण कोष से 1 लाख रुपये दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त 25 लाख रूपये की बीमा तथा 3 लाख रूपये छत्तीसगढ  राज्य  सरकार द्वारा  भी  दिया  जाएगा।  शहीदों के करीबी उत्तराधिकारियों को उनके सेवानिवृति की अवधि तक पूर्ण वेतन उदारीकृत पेंशनरी पुरस्कार (एलपीए) के तहत दिया जाएगा। 

मैं सदन को विश्वास दिलाता हूँ कि केन्द्र सरकार सुरक्षा बलों को हर प्रकार से सक्षम करने हेतु कृत संकल्प है। इसी प्रकार हम राज्यों को प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, सीएपीएफ बटालियनों के प्रावधान और आवश्यक खुफिया जानकारी साझा करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। 

मैं इस सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि हम वामपंथी उग्रवादियों को अपने स्वार्थ के लिए देश के कुछ हिस्सों को विकास के लाभ से वंचित रखने एवं जनता को गुमराह करने की नीति को कामयाब नहीं होने देंगे। 

मैं एक बार फिर शहीद सुरक्षा कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ तथा उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सदन को आश्वस्त करना चाहूँगा कि इन शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

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