लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का अत्यन्त सषक्त स्तम्भ है। प्रजातंत्र की सफलता स्वतंत्र एवं सुदृढ़ न्यायपालिका पर निर्भर है। रूल आॅफ ला सभ्य समाज की आत्मा है। कानून से ही विकास और सुषासन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। राज्य सरकार न्याय व्यवस्था को सषक्त बनाने के लिए कृतसंकल्प है। आमजन को त्वरित एवं निष्पक्ष न्याय सुलभ कराने के लिए राज्य सरकार न्यायपालिका को हर सम्भव सहयोग उपलब्ध करायेगी।
मुख्यमंत्री जी आज यहां आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 41वें अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में निहित समतापूर्ण विधि के षासन की स्थापना में सभी माननीय न्यायमूर्तिगण एवं न्यायिक अधिकारीगण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस मौके पर उन्होंने उत्तर प्रदेश न्यायिक अधिकारी कल्याण कोष में 10 करोड़ रुपए दिए जाने, न्यायिक अधिकारियों को सेवाकाल के दौरान 50 हजार रुपए का आवासीय फर्नीचर भत्ता दिए जाने तथा न्यायिक सेवा में आने के उपरान्त अधिकारी द्वारा एल0एल0एम0 की उपाधि हासिल करने पर तीन अग्रिम वेतन वृद्धि दिए जाने की घोषणा भी की।
योगी जी ने न्यायिक अधिकारियों से न्यायालयों में लम्बित वादों की भारी संख्या को कम करने के लिए माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश की न्यायिक कार्य में आधे घण्टे की वृद्धि का समर्थन करते हुए कहा कि इसके लिए न्यायिक अधिकारियों को अपनी ओर से सार्थक पहल करनी चाहिए। प्रदेश सरकार द्वारा महापुरूषों की जयन्ती आदि पर होने वाली 15 छुट्टियों को समाप्त करने से प्रदेश की जी0डी0पी0 में हुई 50 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा न्यायिक कार्य की अवधि में वृद्धि का प्रभाव बहुत उपयोगी हो सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए गए हैं। प्रदेश में पूंजीनिवेश बढ़ाने एवं रोजगार सृजन के लिए व्यापार अनुकूल वातावरण बनाने व त्वरित न्याय सुलभ कराने की दिशा में गम्भीर प्रयास किये गए हैं। इससे ईज़ आॅफ डूइंग बिज़नेस की राष्ट्रव्यापी रैंकिंग में प्रदेश की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि परिवार और समाज में शांति, राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है। इसके दृष्टिगत 111 अतिरिक्त परिवार न्यायालय गठित किए गए हैं। भू-अर्जन के मुकदमों के शीघ्र निस्तारण हेतु जनपद न्यायाधीश स्तर के 13 भू-अर्जन न्यायालयों का गठन भी किया जा चुका है। प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में काॅमर्शियल न्यायालयों के गठन के निर्णय के तहत 13 काॅमर्शियल न्यायालयों का गठन भी कर लिया गया है।
इसी प्रकार, राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विशेष न्यायालयों का गठन किया गया है। जनोपयोगी सेवाओं हेतु 24 नयी स्थायी लोक अदालतों का गठन भी किया गया है। इलाहाबाद में 395 करोड़ रुपए की लागत से न्याय ग्राम टाउनशिप का निर्माण कराया जा रहा है। जनपद न्यायाधीश एवं मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के लिए नये वाहन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। सम्पूर्ण प्रदेश में न्यायालय भवनों व न्यायिक अधिकारियों के आवास के नवनिर्माण व उनकी मरम्मत हेतु आवश्यक बजट की व्यवस्था करायी गयी है।
योगी जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को त्वरित न्याय सुलभ कराने के लिए न्यायिक अधिकारियों को बेहतर अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। अधीनस्थ न्यायालयों में स्वच्छता सुनिश्चित कराने के लिए न्यायालय परिसरों में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण हेतु 20 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की गई है। गरीब जनता को निःशुल्क न्याय प्रदान करने व समाज में न्यायिक जागरूकता तथा न्यायिक साक्षरता हेतु 20 नये जनपदों में पूर्णकालिक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के पद सृजित किए गए हैं। इससे अब प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्र्राधिकरण में पूर्णकालिक सचिव नियुक्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रिक्त पदों पर न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति में पूरा सहयोग करेगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विवादों का निस्तारण सौहार्दपूर्ण वातावरण में समझौते के माध्यम से कराने के लिए प्रत्येक जनपद में ए0डी0आर0 सेण्टर स्थापित किये जा रहे हैं। मध्यस्थता केन्द्रों को और अधिक सफल व सुदृढ़ बनाये जाने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 50 करोड़ रुपये के मध्यस्थता काॅर्पस फण्ड की व्यवस्था करायी गयी है। प्रदेश की न्यायपालिका में कम्प्यूटरीकरण की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक कार्य प्रणाली को दक्ष, पारदर्शी और त्वरित बनाना वर्तमान की आवश्यकता है। मा0 उच्च न्यायालय में अभिलेखों का डिजिटलाइजेशन अन्तिम चरण में है। जनपद न्यायालयों में डिजिटलाइजेशन के लिए राज्य सरकार आवश्यक सहयोग करेगी।
योगी जी ने कहा कि न्याय का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है। गरीबों, वंचितों और महिलाओं के प्रकरण में विशेष रूप से शीघ्रता एवं तत्परता की आवश्यकता है। उन्होंने सभी न्यायिक अधिकारियों से अपील की कि वे सभी न्यायालयों में लम्बित मुकदमों की भारी संख्या को कम करने के लिए प्रभावी प्रयास करें। ताकि पुराने मुकदमों के साथ ही महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, बच्चों, वृद्धों एवं विचाराधीन बन्दियों के मामलों का शीघ्रता से निस्तारण हो सके।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री डी0बी0 भोसले ने कहा कि उत्तर प्रदेश अपार सम्भावनाओं वाला राज्य है। इसमें देश के सर्वश्रेष्ठ राज्य बनने की क्षमता है। इसके लिए समेकित होकर प्रभावी प्रयास करने की आवश्यकता है। वर्तमान राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार के क्षेत्र में बेहतर काम किया है। उन्होंने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित लगभग 60 लाख वाद न्याय व्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौती है। इसका सफलतापूर्वक सामना करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक कार्यावधि में वृद्धि, मध्यस्थता आदि के सम्बन्ध में लिए गए निर्णयों का न्यायिक अधिकारियों द्वारा प्रभावी अनुपालन आवश्यक है। उन्होंने भरोसा जताया कि अधिवेशन में न्यायिक अधिकारियों द्वारा अपनी सेवा सम्बन्धी मामलों के अलावा न्यायिक व्यवस्था को प्रभावी बनाने तथा शीघ्र न्याय उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में सार्थक विचार-विमर्श किया जाएगा।
कार्यक्रम को विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक तथा उ0प्र0 न्यायिक सेवा संघ के महासचिव श्री बी0एन0 रंजन ने भी सम्बोधित किया। जनपद न्यायाधीश लखनऊ श्री नरेन्द्र कुमार जौहरी ने स्वागत सम्बोधन तथा माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं लखनऊ के एडमिनिस्ट्रेटिव जज माननीय न्यायाधीश श्री राजन राॅय ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर उ0प्र0 न्यायिक सेवा संघ की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।