नई दिल्ली : प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मुसलिम महिला के विवाह व अधिकारों से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी गयी. सरकार इस बिल को आज से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करेगी और पारित करवाने का पूरा प्रयास करेगी. यह बिल मुसलिम महिलाओं को दिये जाने वाले तलाक पर रोक लगाने संबंधी प्रावधानों को लेकर है. ध्यान रहे कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मुसलिम समाज में जारी तीन तलाक को अवैध घोषित करते हुए उस पर रोक लगा दी थी और सरकार को इस संबंध में एक तय समय में कानून बनाने का निर्देश दिया था.
उल्लेखनीय है कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिये जाने के बाद भी देश के विभिन्न हिस्सों से इस तरह के 68 मामले सामने आये थे. इसमें सबसे ज्यादा मामले देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश से आये थे.
सरकार ने तैयार किये गये बिल को मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरेज बिल नाम दिया है. इस बिल में तलाक दिये जाने को आपराधिक कृत्य बताया गया है और बेहद कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. इस बिल को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली अंतर मंत्रालयी समूह ने तैयार किया है. इस बिल के कानून बन जाने पर फोन, एसएमएस व वाट्सएप पर तलाक दिये जाने पर पूर्ण रोक लग जायेगी.
सूत्रों के अनुसार, तीन तलाक से संबंधित बिल में तीन साल की जेल और आरोपी के लिए गैर जमानती धाराओं का प्रावधान है. इस बिल के कानून बनने पर पीड़िता को अपने व बच्चों के गुजारा के लिए मजिस्ट्रेट के पास अपील करने का अधिकार होगा.
इसके अलावा कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय मेडिकल आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी. यह आयोग एमसीआइ यानी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह लेगी. स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में गड़बड़ियों को दूर करने और एक रेगूलेशन लाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.
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