नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने इस बात पर बल दिया है कि शिक्षा को मूल्य, नैतिकता और सदाचरण प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा सिर्फ पाठ्य पुस्तकों से जानकारी जमा करने का माध्यम नहीं है। उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन का उद्धरण देते हुए कहा कि शिक्षा केवल तथ्यों को सीखना नहीं होती, बल्कि विचार करने के लिए मस्तिष्क का प्रशिक्षण होती है।
आज चेन्नई में प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने संस्थान के प्रसिद्ध पुरा छात्रों के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने समावेशी शिक्षा नीति और अनुसंधान तथा वैज्ञानिक भावना को प्रोत्साहन देने के लिए कॉलेज की सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कभी-कभी सही जवाब के बजाय सही सवाल पूछना अधिक महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे साहस और सच्ची भावना के साथ अविवेक पर सवाल करें तथा तर्कहीनता की आलोचना करें। उन्होंने कहा कि छात्रों को नैतिकता और चारित्रिक शक्ति विकसित करनी चाहिए, ताकि वे अपने विचारों और नजरिये पर कायम रह सकें।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों को आश्वस्त किया कि वे परीक्षाओं में जो अंक प्राप्त करते हैं, वे उनकी प्रतिभा का सही पैमाना नहीं हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को प्राप्त अंकों के कारण अपने लक्ष्य से नहीं हटना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा स्नातकों को दल के रूप में काम करना सीखना चाहिए और यह भी सीखना चाहिए कि कैसे विश्वास करें और कैसे विश्वसनीय बनें। उन्होंने कहा कि निजी आवश्यकताओं के बजाए सामूहिक आवश्यकताओं को विकसित करने की क्षमता पैदा करने से अधिक महत्वपूर्ण और कुछ नहीं होता। छात्रों को रुचि संपन्न होना चाहिए तथा उन्हें कला, संगीत, चित्रकारी और नृत्य में रस लेना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि इन कलाओं से व्यक्ति तनाव मुक्त होता है और उसे शांति मिलती है।
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से आग्रह किया कि वे कम भाग्यशाली लोगों की आवश्यकताओं के प्रति जागरूक बनें और कम आयु से ही ध्यान रखने तथा बांटने की आदत विकसित करें। उन्होंने छात्रों से स्वच्छ भारत जैसे अभियानों को अपनाने तथा स्वच्छ भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि इन कदमों को जनांदोलन का रूप ले लेना चाहिए, ताकि महात्मा गांधी के सपनों को पूरा किया जा सके।
इस अवसर पर तमिलनाडु के मछलीपालन, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्री श्री डी जय कुमार और अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में 1000 से अधिक छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया।