नई दिल्लीः देश में मैट्रो रेल परियोजनाओं का तेजी से विस्तार करने के साथ ही शहरी विकास मंत्रालय ने मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देने के लिए कई दूरगामी निर्णय लिए हैं। इनमें मैट्रो कारें और संबंधित महत्वपूर्ण उपकरण तथा उप-प्रणालियों की खरीद के लिए मैट्रो कंपनियों के निविदा दस्तावेजों में कुछ अनिवार्य शर्तों को शामिल करना, केवल देश में निर्मित सिग्नलिंग उपकरणों की खरीदारी के अलावा रोलिंग स्टॉक (मैट्रो कोचों) और सिग्नलिंग उपकरण के लिए तकनीकी मापदंडों को मानकीकृत करना शामिल है।
कई श्रेणी के उपकरणों के लिए नये अनिवार्य निविदा शर्तों और मानकीकृत मानदंडों को शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू की मंजूरी मिल गई है और इन्हें तुरंत प्रभावी बनाने के लिए इस सप्ताह शुक्रवार को सभी मैट्रो कंपनियों को भेज दिया गया है।
इन पहलों से रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग उपकरण के लिए मौजूदा तकनीकी शर्तों के विभिन्न रूपों को हटाकर रोलिंग स्टॉक और सभी प्रकार के उपकरणों की खरीदारी बढ़ाने के जरिए देश में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने को बढ़ावा मिलेगा।
मंत्रालय ने निविदा दस्तावेज में शामिल करने के लिये निम्नलिखित अनिवार्य शर्तें निर्धारित की हैं:
- मैट्रों कारों की निविदा संख्याओं में से कम से कम 75 प्रतिशत विकासशील स्वदेशी सामग्री के साथ स्वदेश में निर्मित किया जाना चाहिये। अगर खरीदारी 100 कारों से अधिक होती है तो ठेकेदार या तो देश में अपनी स्वतंत्र विनिर्माण सुविधा स्थापित कर सकता है अथवा भारतीय विनिर्माताओं के साथ साझेदारी कर सकता है।
- वारंटी अवधि से परे पुर्जों की आसानी से उपलब्धता के जरिए प्रबंधन में सुगमता के लिए निविदा दस्तावेज में महत्वपूर्ण उपकरण और उप-प्रणालियों की चिन्हित सूची को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि ऐसे उपकरणों का कम से कम 25 प्रतिशत विनिर्माण स्वदेश में किया जाना सुनिश्चित किया जा सके।
- राज्य स्तर पर मैट्रो कारों की आवश्यकता को स्थानीय खरीद नियमों में शामिल किया जाना चाहिए।
- इन हाउस विशेषज्ञता विकसित करने के लिए मैट्रो कंपनियों को बड़े स्तर पर इन हाउस प्रबंधन करना चाहिए।
मंत्रालय ने काफी समय से लंबित रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग उपकरण के लिए मानकीकृत मानदंडों को लागू करने का फैसला किया है, जो वर्तमान आयात के 90 प्रतिशत से अधिक पर लागू होगा।