नई दिल्ली: रोजगार सृजन के मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों का सामना कर रही मोदी सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार में कितने रोजगार पैदा हुए? इसे लेकर चल रही बहस के बीच केंद्रीय श्रम मंत्रालय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके तहत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत रोजगार हासिल करने वाले लोगों के नाम भी जॉब डेटा में जोड़े जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो जॉब क्रिएशन के मोदी सरकार के आंकड़े काफी बेहतर हो जाएंगे। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के कई मंत्री चाहते हैं कि मुद्रा योजना से पैदा हुए रोजगार को जॉब डेटा में शामिल करना चाहिए।
पीएम मोदी ने हाल में दिए इंटरव्यू में किया था रोजगार का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले इंटरव्यू में दिए दावा किया था कि ईपीएफओ में करीब 70 लाख नए अकाउंट खुले हैं। उन्होंने विपक्ष पर यह कहकर निशाना साधा था कि क्या ईपीएफओ में 70 लाख अकाउंट खुलना क्या रोजगार पैदा होने का सबूत नहीं है?
श्रम मंत्रालय का प्रस्ताव दे पाएगा बीजेपी को चुनावी फायदा?
माना जा रहा है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से पैदा होने वाले रोजगार को जॉब डेटा में डालने से मोदी सरकार का वह दावा मजबूत हो जाएगा, जो नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने किया था। वो वादा था रोजगार पैदा करने का। मोदी सरकार का कैल्कुलेशन है कि मुद्र योजना में करीब 10 करोड़ लोगों को पैसा दिया गया है। खुद पीएम मोदी ने एक न्यूज चैनल को दि इंटरव्यू में दावा किया कि इनमें 3 करोड़ ऐसे युवा हैं, जिन्होंने पहली बार लोन लेकर खुद का कारोबार शुरू किया। ऐसे में मोदी सरकार के रोजगार सृजन के आंकड़ों की कहानी पूरी तरह बदल सकती है।
नरेंद्र मोदी ने किया था हर साल 1 करोड़ नौकरी का वादा
पीएम मोदी ने 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान हर साल 1 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन मौजूदा जॉब डेटा में नौकरियों का आंकड़ा वादे से बहुत पीछे है। ऐसे में सरकार के मंत्रियों का तर्क है कि मुद्रा योजना से पैदा हुई नौकरियों को भी रोजगार की श्रेणी में डाला जाना चाहिए। मुद्रा योजना की शुरुआत अप्रैल 2015 में हुई थी। इस योजना के तहत अब तक 10.5 करोड़ लोगों को 4.13 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है। सरकार का दावा है कि इनमें से 3 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें पहली बार लोन प्राप्त हुआ।
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