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रक्षा मंत्री ने अंतर्राष्‍ट्रीय सुरक्षा पर सातवें मॉस्‍को सम्मेलन को संबोधित किया

देश-विदेश

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन अंतर्राष्‍ट्रीय सुरक्षा पर सातवें मॉस्‍को सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए 03 से 05 अप्रैल 2018 तक रूस की तीन दिन की यात्रा पर हैं। रक्षा मंत्री ने ‘ग्‍लोबल सिक्‍यूरिटी इन ए पॉलीसेन्ट्रिक वर्ल्‍ड’ विषय पर सम्‍मेलन के दूसरे पूर्ण सत्र को 04 अप्रैल को संबोधित किया। इनमें वर्तमान विश्व में रक्षा, सुरक्षा और रणनीतिक परिदृश्य से जुड़े पहलू शामिल थे।

      रक्षा मंत्री ने कहा कि यूरेशियाई पड़ोसियों के साथ स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने खासतौर से आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए रूस के साथ सहयोग कायम करना भारत के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने क्षेत्र में आतंकवाद, अफगनिस्तान में निरंतर जारी अस्थिरता, एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के लिए खतरों, गैर-परम्परागत सुरक्षा चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता जैसे मुद्दों से निपटने और देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता के बारे में भी चर्चा की।

      उन्होंने कहा कि भारत और रूस काफी लंबे समय से मित्र और सहयोगी हैं और हम एक विशेष और विशेष अधिकार वाली रणनीतिक साझेदारी कर सकते हैं। भारत और रूस ने अपने कूटनीतिक संबंधों के 70 वर्ष हाल ही में पूरे किए हैं। इन सात दशकों में भारत और रूस ने अनेक क्षेत्रों में खासतौर से रक्षा के क्षेत्र में आपसी विश्वास कायम किया है।

      रक्षा मंत्री ने कहा कि हम रूस के विश्व स्तर पर बढ़ते कार्यों का स्वागत करते हैं और हम रूस के साथ अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर सलाह-मशविरा और सहयोग जारी रखेंगे। भारत के लिए अपने यूरेशियाई पड़ोस में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने खासतौर से आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए रूस के साथ सहयोग महत्वपूर्ण है। हम आपसी लाभ के लिए विस्तृत आर्थिक विकास और क्षेत्र के विकास के लिए रूस के साथ सहयोगपूर्ण संबंध चाहते हैं।

      आज अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान किसी एक देश अथवा देशों के समूह द्वारा नहीं किया जा सकता।

      आर्थिक क्षेत्र में हमें संरक्षणवाद से बचना होगा। कुशल श्रमिकों की गतिविधियों में आने वाली बाधाओं और सीमाओं को बंद करके इससे जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं हो सकता। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास का लाभ निरंतर कम समृद्ध क्षेत्रों को मिले।

      इस प्रक्रिया में एशिया की भूमिका केंद्र में होगी। निकट भविष्य में एशियाई अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक विकास की संचालक होंगी।

      श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है। राजनीतिक प्रक्रिया और आतंकवाद की ताकतों और देश में जारी हिंसा के साथ प्रभावी तरीके से निपटने के बीच कोई विकल्प नहीं है। यदि हमें सुधार को बरकरार रखना है तो आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी। भारत एक सुरक्षित, स्थिर और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के उद्भव का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की लगातार प्रतिबद्धता से इसे हासिल किया जा सकता है। भारत, अफगानिस्तान की जनता को अपनी सहायता और सहयोग जारी रखेगा।

      रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का अभिशाप अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रमुख चुनौती बना हुआ है। आतंकवादी अधिक खतरनाक तरीके अपना रहे हैं। युवा कट्टरपंथी नई टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया नेटवर्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

      रक्षा मंत्री ने आतंकवादियों द्वारा पश्चिम एशिया में क्षेत्रीय अड्डे स्थापित करने तथा कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने के प्रयासों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत काफी लंबे समय से क्षेत्र में परमाणु हथियारों के प्रसार की ओर इशारा कर रहा था, जो हमारी अपनी सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

      उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा स्थिरता को बनाए रखने में उपयुक्त भूमिका निभा रहा है। पिछले कुछ दशकों में भारत की लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था ने उसके करोड़ों नागरिकों को गरीबी से निकाला है। भारत पारदर्शिता, समावेश और विकास, नवोन्मेष से लाभ उठाने और डिजिटल अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को बढ़ाने का इच्छुक है।

      रक्षा मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय संपर्क पर नये सिरे से जोर देने, हमारी ऐक्ट ईस्ट नीति पर लगातार ध्यान केन्द्रित करने और पश्चिम एशिया, खाड़ी और अफ्रीका के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंध बढ़ाने के लिए मजबूती से प्रयास करने के साथ ही भारत ने आज अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी का एक सक्रिय नेटवर्क तैयार कर लिया है।

      भारत, रूस और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ आपसी हित के मुद्दों के अलावा ब्रिक्स, एससीओ और अन्य मंचों पर मिलकर कार्य करना जारी रखेगा। भारत और रूस के बीच प्रभावी सहयोग भविष्य में क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने में एक प्रमुख कारक होगा।

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