नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज यहां भारतीय सशस्त्र और अर्द्धसैनिक बलों के लिए रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के योगदान के बारे में बताया। “डीआरडीओ को 2014-17 में मिली खास उपलब्धियां” की संकलित रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर डीआरडीओ के अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान व विकास विभाग के सचिव डॉ. एस.क्रिस्टोफर, सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एस.वी.देव और रक्षा मंत्रालय और डीआरडीओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
डीआरडीओ द्वारा विकसित हथियार प्रणाली, प्लेटफॉर्म, दोहरे उपयोग वाले उपकरण, भारतीय सशस्त्र और अर्द्धसैनिक बल में स्वीकार और शामिल कर लिए गए हैं। तेजस फाइटर, एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एईडब्ल्यूएंडसी) सिस्टम, आकाश वेपन सिस्टम, सोनार सिस्टम, वरुणस्त्र टारपीडो, भराणी हथियार का पता लगाने वाला रडार (डब्ल्यूएलआर), परमाणु जैविक रसायन (एनबीसी) रैकी वाहन, अग्नि-5, लंबी दूरी तय करने वाली एयर मिसाइल (एलआरएसएएम), मिडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (एमआरएसएएम), एनएजी, एडवांस टॉड एरे गन (एटीएजी), व्हील्ड ऑर्म्ड प्लेटफॉर्म (डब्ल्यूएचएपी), रुस्तम –2 मानवरहित वायु वाहन आदि कुछ पूरे और शामिल होने वाले विशिष्ट सफल परीक्षण हैं।
डीआरडीओ द्वारा विकसित उत्पादों के उत्पादन मूल्य में पिछले तीन वर्षों में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो 1,61,000 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 2,57,000 करोड़ रुपये हो गई है। इस बारे में मंजूरी रक्षा अधिग्रहण परिषद देती है। डीआरडीओ द्वारा विकसित प्रणालियों की निर्यात क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई है और इस वर्ष टारपीडो का निर्यात 37.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा है। यह महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भर बनने और प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ विजन को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।