नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के तहत रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उद्योग में स्वदेशीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किये हैं। बजट-2018 में तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश में दो रक्षा कॉरिडोर का निर्माण करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद से इन कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
तमिलनाडु रक्षा कॉरिडोर विकसित करने के पहले कदम के रूप में आज तिरूचिरापल्ली में स्थानीय उद्योग के साथ आपसी बैठक हुई। इस बैठक को रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संबोधित किया। इसमें उद्योग के 200 से अधिक प्रतिनिधि, तमिलनाडु सरकार के कई मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी तथा रक्षा मंत्रालय, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और आयुध निर्माण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। अपने उद्घाटन संबोधन में रक्षा मंत्री ने देश के सम्पूर्ण विकास में रक्षा क्षेत्र के महत्व के बारे में बताया और इस संदर्भ में प्रस्तावित रक्षा कॉरिडोर के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने परियोजना को सफल बनाने के लिए सभी हितधारकों से इसमें सक्रिय समर्थन देने को कहा। श्रीमती सीतारमण ने चेन्नई में 11 से 14 अप्रैल, 2018 तक होने वाली रक्षा प्रदर्शनी-2018 में आने वाले लगभग 300 से अधिक विनिर्माताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए स्थानीय निर्माताओं से रक्षा से संबंधित उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने का भी आग्रह किया।
रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने, तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाये गए उद्योग अनुकूल कदमों, प्रस्तावित रक्षा कॉरिडोर में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की भूमिका और स्थानीय उद्योग की अपेक्षाओं पर कई प्रस्तुतियां पेश की गई। इसके बाद ऊर्जावान प्रश्नोत्तरी सत्र भी आयोजित किया गया।
महत्वपूर्ण शहरों का चतुर्मुखी कॉरिडोर तैयार कर तमिलनाडु रक्षा कॉरिडोर जिसे तमिलनाडु रक्षा उत्पादन क्वैड भी कहा जाता है निर्मित किया जाएगा। इन शहरों में चेन्नई, होसुर, सेलम, कोयम्बटूर और तिरुचिरापल्ली शामिल हैं।