देहरादून: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के प्रथम दिवस पर राजभवन के प्रेक्षागृह में आज, राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाॅल की पहल पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण डाॅ. आर.ए. माशेलकर द्वारा व्याख्यान से, व्याख्यान श्रृंखला की शुरूवात हुयी।
‘‘रि-इन्वेंटिंग इंडिया एज एनोवेशन नेशन’’ (एक नवाचार के रूप में बदलता भारत ) विषय पर बोलते हुए डाॅ. माशेलकर ने कहा कि नवाचार भारत की संस्कृति है लेकिन कहीं न कहीं इसने अपनी संस्कृति को खो दिया है और इसे पाने के लिए हमें नवाचार की संस्कृति को फिर से हासिल करना होगा। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्र के विकास के लिए हमें वैज्ञानिक सोच लाने की जरूरत है।‘ हमारे विश्वविद्यालयों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को साथ-साथ चलाया जाना चाहिए। वर्तमान सरकार द्वारा की गयी पहल जैसे ‘मेक इन इण्डिया‘, ‘डिजिटल इण्डिया‘, ‘स्किल इण्डिया‘ और ‘स्टार्टअप इण्डिया‘ के माध्यम से राष्ट्र इस दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि नवाचार देश के विकास के लिये महत्वपूर्ण है। आविष्कार से वास्तविक उत्पाद का बाजार तक उपलब्ध होने की यात्रा अत्यंत कठिन है।
सी.एस.आइ.आर. के पूर्व महानिदेशक और ग्लोबल रिसर्च एलायंस के अध्यक्ष डाॅ. माशेलकर ने कहा कि प्रतिभा, प्रौद्योगिकी एवं विश्वास से ही एक विश्वस्तरीय भारतीय नवीनता पारिस्थितिकी तंत्र पनप सकता है। प्रतिभा, प्रौद्योगिकी और विश्वास आविष्कार की कुंजी हैं। हमारे पास ऐसे भारतीय विद्धान हैं जो तकनीक में अग्रणी हैं और वह यह सब अंतराष्ट्रीय कम्पनियों के लिये कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शोध धन को ज्ञान में बदलता है और आविष्कार ज्ञान को धन में बदल देता है हालांकि नवाचार मुद्रीकरणीय ज्ञान को धन में बदलता है। उन्होंने पेटेंट साक्षरता पर बल दिया।
डाॅ. माशेलकर ने नई मूल्य प्रणाली, नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली नीतियों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि नवाचार में मात्र तकनीकी नवाचार शामिल नहीं है इसमें नीतियां, तंत्र वितरण, शोध प्रक्रिया, व्यापार माॅडल एवं संगठनात्मक नवाचार शामिल है। उन्होंने जमीनी स्तर पर नवाचार के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत का मतलब 130 करोड़ चेहरे न होकर 130 करोड़ दिमाग है।
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी नवाचार और आविष्कार के लिये आगे आ रही हैं।एम.एल.एम (More from less for more) के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत टाॅप पर स्थित है। भारत मंगल ग्रह की कक्षा में प्रथम प्रयास में न्यूनतम कम कीमत में प्रवेश करने वाला प्रथम देश है। भारत ने यह कारनामा, अमेरिकी मिशन जिसकी लागत 671 मिलियन डाॅलर के मुकाबले भारतीय मिशन जिसकी लागत 74 मिलियन डाॅलर थी, कर दिखाया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गरीबों केे हित से जुड़ी उच्च तकनीक का नवाचार ही एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए। आय में असमानता होने के बावजूद, हमें समानता से इस तक पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने सस्ती उत्कृष्टता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि यह नवाचारी भारत बाकी की दुनिया के लिये संकेत है कि हम एक संकोची राष्ट्र नहीं है बल्कि नई विश्व व्यवस्था में राष्ट्रीय समुदायों का नेतृत्व करने को तत्पर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को निर्भीक, नीति नवाचार के लिये तत्पर बताते हुए कहा कि उनकी नीति भारत को नवाचार राष्ट्र बनने में तेजी लाएगी।
इससे पहले, उत्तराखण्ड के राज्यपाल ने डाॅ. माशेलकर का स्वागत किया और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सभी को परिचित कराया। उन्होंने कहा कि डाॅ. माशेलकर ने भारत में नया वैज्ञानिक युग कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। डाॅ. माशेलकर ने हल्दी और बासमती चावल पर पारम्परिक ज्ञान के आधार पर गलत अमेरिकी पेटेंट के लिये बहुत बड़ी लड़ाई में विजय हासिल की। राज्यपाल ने कहा कि डाॅ. माशेलकर डाॅक्टरेट की 37 मानद उपाधियां हैं, एवं वे एक विपुल लेखक और प्रेरणादायक वक्ता हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि देश के विकास में सांइस और टैक्नालाॅजी के महत्व को देखते हुए वैज्ञानिक संस्कृति को विकसित करना जरूरी है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से विद्यार्थियों को अच्छा एक्सपोजर मिल सकता है।
महानिदेशक यूकाॅस्ट (UCOST) डाॅ. आर.के. डोभाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव डाॅ. रणवीर सिंह, ओम प्रकाश, राज्य के सभी विश्वविद्यालायों के कुलपति, अध्यापक, शोधार्थी, वैज्ञानिक और विद्यार्थी सहित शहर के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर इंडस्ट्रीज एसोसिएसन आॅफ उत्तराखण्ड के सहयोग से एक विज्ञान प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी। जिसमें राज्य के विश्वविद्यालयों से आए विद्यार्थियों द्वारा नवाचार प्रोजेक्ट प्रस्तुत किये गए। महिला सशक्तिकरण एवं बाल कल्याण निदेशालय द्वारा भी कुपोषण से मुक्त करने वाले पोषक खाद्य पदार्थों विषयक प्रदर्शन किया गया।