देहरादून: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद के लिए 2 लाख रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की है। राजभवन में उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद की आम सभा की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बाल कल्याण परिषद को और सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है। इसकी जिलास्तरीय बैठकें भी आयेाजित की जाएं। परिषद की कार्यकारिणी में दूरस्थ जिलों के सदस्यों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। परिषद की पत्रिका ‘बाल संवाद’ का नियमित तौर पर प्रकाशन किया जाए।
उत्तराखण्ड राज्य बाल कल्याण परिषद की 13 वीं आम सभा की बैठक में परिषद की नई कार्यकारिणी चयनित की गई। परिषद की विŸाीय स्थित सुधारने के लिए राज्यपाल के सुझाव पर सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि आजीवन सदस्यों द्वारा 2-2 हजार रूपए का अंशदान किया जाएगा। राज्यपाल ने बाल कल्याण परिषद के लिए 2 लाख रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की। यह राशि राज्यपाल द्वारा परिषद के लिए इस वर्ष पूर्व में स्वीकृत एक लाख रूपए से अतिरिक्त है।
राज्यपाल ने कहा कि परिषद की ‘बाल संवाद’ पत्रिका को दुबारा से नियमित तौर प्रकाशित किया जाए। इसका वितरण परिषद के सदस्यों के साथ ही अन्य लोगों को भी किया जाए। बाल संवाद पत्रिका को रोचक व उपयोगी बनाया जाए। परिषद की वेबसाईट में सुधार किये जाने की जरूरत है।
बैठक में महासचिव श्री बाल कृष्ण डोभाल ने परिषद की वार्षिक आख्या व भावी कार्यक्रमों की रूपरेखा आम सभा के समक्ष प्रस्तुत की। परिषद के वार्षिक आय व्यय संबंधी रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। परिषद के क्रियाकलापों की जानकारी देते हुए बताया गया कि राज्य स्तरीय ‘मिलकर रहना सीखो’ शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बच्चों का पारस्परिक मिलन, लोक गीत, लोक नृत्य, खेलकूद, सामान्य ज्ञान विभिन्न स्थलों का भ्रमण बच्चों को कराया गया। उत्तराखण्ड के मास्टर अर्जुन सिंह को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार वर्ष 2015 से, मास्टर सुमित ममगाईं को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार वर्ष 2016 से और मास्टर पंकज सेमवाल को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार वर्ष 2017 से सम्मानित किया गया है। अभी तक उत्तराखण्ड राज्य के 11 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रतिदिन दो बैच में छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर संचालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रतिवर्ष बच्चों की चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। अभी तक राज्य के 8 बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय पर्वो पर भी कार्यक्रम आयेाजित किए जाते हैं। मातृहीन-पितृहीन बच्चों को शैक्षिक सहायता भी दी जा रही है।