देहरादून: उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल द्वारा विगत सायं राजभवन में बुद्धिजीवियों के समागम के बीच अंग्रेजी के सुविख्यात लेखक को सम्मानित किया गया।
इस विशेष अवसर पर राज्यपाल ने स्टीफन आॅल्टर की रचनाओं में पहाड़ों विशेषतः हिमालय के प्रति झलकते प्रेेम का उल्लेख करते हुए उनकी सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि अमेरिकी होते हुए भी ‘स्टीफन’ वास्तव में उत्तराखण्डी हंै। इनका जन्म मसूरी में हुआ, वुड स्टाक स्कूल, मसूरी में स्कूली शिक्षा ली।
स्टीफन आॅल्टर के स्वागत सम्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि पहाड़ों से स्टीफन का बेइन्तहां लगाव और मानव स्वभाव के प्रति उनकी गहरी समझ उनकी रचनाओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने स्टीफन को गंभीर और अद्भुत लेखक बताते हुए कहा कि इन्होंने अट्ठारह किताबों में अनेक यात्रा वृतान्त, लघु कथाओं और जीवनी के माध्यम से अपनी अनोखी रचनाशैली और लेखन प्रतिभा का परिचय दिया है।
राज्यपाल ने ‘आॅल द वे टू हैवन’ तथा जिम कार्बेट पर लिखी पुस्तक ‘ इन द जंगल आॅफ द नाइट’ का विशेष रूप से उल्लेख किया।
इस अवसर पर, मसूरी के लंढ़ौर निवासी स्टीफन आॅल्टर ने कहा – ‘‘हिमालय ने मुझे बहुत प्रभावित किया जिसका प्रभाव मेरी लेखनी में परिलक्षित होता है। मेरी दृष्टि में हिमालय पृथ्वी पर एक ऐसा विश्वविद्यालय है जो शोधार्थियों, खोजकर्ताओं, लेखकों तथा विद्धानों को लगातार शिक्षा दे रहा है। चमत्कारिक हिमालय की महिमा अनन्त है।’’
स्टीफन ने मसूरी में अपने छात्र जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने यहाँ बहुत ट्रैकिंग की है और अपनी कई लघु कथाओं में मसूरी को काल्पनिक रूप से भी प्रस्तुत किया है। हिमालय की पहाड़ियों से दूर रहने पर उनके प्रति अधिक भावुक होकर लिखने की बात कहने के साथ ही उन्होंने प्रकृति से प्रेम और पहाड़ों के अप्रतिम सौन्दर्य से जुड़ी अपनी लेखनी के अनुभवों को बुद्धिजीवियों से साझा किया।
उन्होंने यह भी बताया कि वे हिमालय पर लिखने का कार्य कर रहे हैं जिसके अन्तर्गत भूविज्ञान, इतिहास, वन्यजीव, वन, मानवीय बस्तियों और प्रवासन जैसे कई आयाम शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रोजैक्ट पर काम करते हुए पाया कि देहरादून की कहानी हिमालय के मूल में बसी है।
लेखकों, शिक्षाविदों, पत्रकारों तथा देहरादून के कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति में राज्यपाल ने स्टीफन आॅल्टर को विशेष स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने दिसम्बर 2016 से राजभवन में प्रतिष्ठित/लोकप्रिय लेखकों को सम्मानित करने की परम्परा शुरू की है जिसके तहत शहर के बुद्धिजीवियों को अपने अनुभवों और विचारों को साझा करने का एक बेहतर मंच मिला है।