देहरादून: राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाल ने आईसीएफएआई के दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग करते हुए इनोवेशन, सांस्कृतिक मूल्यों के ज्ञान व चारित्रिक गुणों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों में भारतीयता की भावना व सांस्कृतिक मूल्यों का संचार आवश्यक है ताकि वे समाज सेवा के लिए संकल्पित हो सकें। शिक्षा ऐसा शक्तिशाली शस्त्र है जिससे पूरी दुनिया को बदला जा सकता है। शिक्षा अच्छे भविष्य के लिए पासपोर्ट है। आने वाला कल उनका होता है जो इसके लिए आज तैयारी करते हैं।
उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें। तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था को युवा शक्ति के सहयोग की जरूरत है। विशेष तौर पर ‘स्टार्ट-अप’ व ‘मेक इन इंडिया’ में युवा बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाएं। विश्वविद्यालय भी छात्रों के प्लेसमेंट के लिए उद्योगों से समन्वय करें और ‘स्टार्ट-अप’ के संबंध मे छात्रों के मार्गदर्शन के लिए विशेष प्रकोष्ठ स्थापित करें।
राज्यपाल ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी मानव इतिहास की सबसे सामथ्र्यवान व योग्य युवा पीढ़ी है। आप शक्तिशाली हैं क्योंकि आपके नियंत्रण में उत्कृष्ट तकनीक है। यह सुनिश्चित करें कि अपने ज्ञान व तकनीक का उपयोग स्वयं के जीवन मे सुधार लाने के साथ ही देश व दुनिया के लिए भी हो। दीक्षांत समारोह किसी भी छात्र के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। आशा है कि यह दिन आपकी स्मृति में सदैव बना रहेगा। सरकारी क्षेत्र में अवसरों की सीमितता होती है। विकसित होती अर्थव्यवस्था में प्राईवेट सेक्टर में कैरियर निर्माण के अधिक बेहतर अवसर हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सफल जीवन के लिए बुद्धिमत्ता, कठिन परिश्रम, अनुशासन, साहस, निष्ठा, स्नेह व उदारता की भावना, आवश्यक गुण हैं। अपने सहज ज्ञान पर विश्वास रखें। कार्यों व व्यवहार में सामान्य बुद्धिमत्ता व संवेदना, दृढ़ता व दूरदर्शिता की झलक दिखनी चाहिए। संास्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखें। राज्यपाल ने सृजनशीलता पर बल देते हुए कहा कि सफलता की नई ऊंचाइयां छूने के लिए कम्फर्ट जोन से बाहर आना होगा। युवा शक्ति, राष्ट्र-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाए।
राज्यपाल ने कहा कि एजुकेशन सिस्टम में बड़े स्तर पर सुधार किए जाने की आवश्यकता है। इसमें प्राईवेट सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विश्व के अनेक बेहतरीन विश्वविद्यालय प्राईवेट सेक्टर की पहल पर स्थापित हुए हैं। राज्यपाल ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को समय के साथ चलना होगा। भविष्य के अनुकूल पाठ्यक्रम विकसित करने होंगे। ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे नए आईडियाज प्रेरित हों। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विकास के साथ ही ‘विदेशी भाषा’ व ‘बौद्धिक सम्पदा अधिकार’ के क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय रिसर्च के माध्यम से ज्ञान के सृजन को बढ़ावा देना चाहिए। हमारी फेकलटी को क्रिएटिव व मौलिक रिसर्च के प्रोत्साहित किया जाए। देश के विकास के लिए रिसर्च में पर्याप्त निवेश करना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि साईबर क्राईम के अध्ययन की प्रासंगिकता को देखते हुए विश्वविद्यालय में साईबर सुरक्षा के स्पेशियलाईजेशन के साथ एक उच्च गुणवत्ता का कम्प्यूटर प्रभाग स्थापित किया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के विश्वविद्यालयों में आपदा प्रबंधन व न्यूनीकरण, पर्वतीय कृषि, हर्बल मेडिसिन, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास आदि पर्वतीय राज्य के अनुकूल शैक्षणिक व शैक्षणेत्तर गतिविधियां आयोजित की जानी चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं के लिए वार्निंग सिस्टम विकसित करने के लिए रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण के बाद उच्च शिक्षा में बहुत विस्तार हुआ है। राज्य में केंद्रीय, राज्य, सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। जिस प्रकार आई.सी.एफ.आई विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है, इससे उसकी पहचान जल्द ही देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में होगी। विश्वविद्यालय के शोध सहित अन्य इनोवेटिव शैक्षणिक कार्यक्रमों से छात्रों के साथ ही समाज भी लाभान्वित होगा।
इससे पूर्व राज्यपाल ने ‘‘वाॅल आॅफ हीरोज’’ का भी लोकार्पण किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि स्कूल आॅफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर चेतन वैद्य, आईसीएफएआई के चांसलर एम रामचंद्रन, वाईस चांसलर डाॅ.पवन कुमार अग्रवाल, बोर्ड व एकेडमिक काउंसिल के सदस्य, रजिस्ट्रार, फेकल्टी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम में पीएचडी डिग्री 1, एमबीए डिग्री 46, एलएलएम डिग्री 1, बीटेक डिग्री 59, बीबीए एलएलबी आनर्स डिग्री 101, बीएड डिग्री 7 प्रदान की गई।