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राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, ट्रिपल तलाक बिल अटका

देश-विदेश

नई दिल्ली. राज्यसभा का गत वर्ष 15 दिसंबर से शुरू हुआ शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. इसके चलते में तीन तलाक बिल लटक गया है. लोकसभा में बिल पहले ही पास हो चुका है. राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए तीन दिन थे, लेकिन तीनों ही दिन इस पर हंगामा मचता रहा जिसके चलते आज सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया.  कांग्रेस और विपक्षी दल इसे स्थायी समिति में भेजने की मांग करते रहे वहीं, सरकार इस पर बहस चाहती थी.

इतना ही नहीं जीएसटी संशोधन बिल भी राज्‍यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्‍थगित होने के चलते लटक गया है.  सभापति ने गतिरोध खत्‍म करने के लिए सरकार और विपक्ष की बैठक बुलाई थी जो बेनतीजा रही. इस दौरान उच्च सदन में हंगामे के कारण कामकाज के 34 घंटों का नुकसान हुआ.

वहीं, इसे लेकर संसद के बाहर मुस्लिम महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया. महिलाओं ने कहा कि हम ऐलान करते हैं कि हम कांग्रेस का बायकॉट करेंगे. हम पीएम मोदी का धन्यवाद करते हैं कि वो इस बिल का लाए. हम कांग्रेस की भर्त्सना करते हैं.

नायडू ने सदन में कामकाज के घंटों में इजाफे पर प्रसन्नता जाहिर करते हुये काम की गति को आगे भी जारी रखने का भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए यह समीक्षा, स्मरण और आत्मावलोकन करने का विषय है कि हमने सदन की कार्यवाही का संचालन कैसे किया. उन्होंने सभी सदस्यों को राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुये कहा कि आप मुझसे इस बात से सहमत होंगे कि भले ही संसद राजनीति का एक महत्वपूर्ण संस्थान है, किन्तु यह विशिष्ट अर्थों में राजनीति का विस्तार नहीं हो सकता, जो गहरे विभाजन और विद्वेष से भरी होती है.

नायडू ने इस सत्र के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का जिक्र करते हुये कहा कि एक तरफ समूचे सदन ने प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री के उच्च पदों की गरिमा और सम्मान को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता का पालन किया, वहीं कार्यवाही के दौरान बाधायें उत्पन्न होने के कारण कामकाज का बहुमल्य समय नष्ट भी हुआ. उन्होंने सभी सदस्यों से सदन में बहस के दौरान लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करने की अपील करते हुये कहा कि सभी को इस बारे में आत्म अवलोकन करना चाहिये.

शीतकालीन सत्र की कार्यवाही का ब्योरा पेश करते हुये सभापति ने कहा कि इस सत्र में 13 बैठकें हुई. इन बैठकों में बाधाओं और स्थगन के बावजूद नौ सरकारी विधेयकों को पारित करने के अलावा जनहित से जुड़े विशेष उल्लेख के 28 मामले उठाये गये. नायडू ने बताया कि इस सत्र में 19 निजी विधेयक पेश करने के साथ रोजगार के अधिकार को संविधान के तहत मूल अधिकार बनाने की मांग वाले नजी विधेयक पर लंबी चर्चा भी हुई.

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