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राज्य के भेड-बकरी पालाकों के सहायतार्थ ऊन कतरन वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करती हुईः पशुपालन मंत्री रेखा आर्य

राज्य के भेड-बकरी पालाकों के सहायतार्थ ऊन कतरन वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना करती हुईः पशुपालन मंत्री रेखा आर्य
उत्तराखंड

देहरादून: राज्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार पशुपालन भेड़ एवं बकरी पालन मंत्री, श्रीमती रेखा आर्य द्वारा आज पशुधन भवन मोथोरावाला देहरादून से उत्तराखण्ड राज्य के भेड़-बकरी पालकों के सहायतार्थ ऊन कतरन एवं विपणन योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु ऊन कतरन वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया।

इस अवसर पर मा0 मंत्री ने कहा कि राज्य की मुख्य अर्थव्यवस्था भेड़ पालन पर आधारित है। जिसमें 19वीं पशुगणना 2012 के आधार पर राज्य में लगभग 4 लाख भेड़े हैं तथा 17032 परिवारों के जीविकापार्जन का मुख्य स्त्रोत भेड़ पालन है, जिसमें 2015-16 में राज्य की कुल ऊन उत्पादन 5133 कुन्टल है तथा वर्तमान परिस्थितियों में भेड़ पालकों को कच्ची ऊन का उचित मूल्य प्राप्त न होने के कारण यह लाभप्रद व्यवसाय समाप्ति तथा पलायन दंश झेल रहा है। उत्तराखण्ड राज्य के भेड़ पालकों की मुख्य समस्याएं बुग्याल में कच्ची ऊन का ढूलान कच्ची ऊन का विपणन, ऊन की गे्रडिंग एवं उचित रख-रखाव के निदान हेतु राज्य में ऊन कतरन विपणन योजना दिसम्बर 2016 में स्वीकृत की गयी, जिसके तहत उत्तराखण्ड राज्य के भेड़-बकरी पालकों के सहायतार्थ  ऊन कतरन एवं विपणन योजना का शुभारम्भ किया गया है। उत्तराखण्ड भेड़ पालकों को ऊन कतरन मशीन के द्वारा भेड़ों की ऊन की कटाई की जायेगी, जिसके लिए आज सचल वाहन दल को रवाना किया गया है। इस वाहन के द्वारा भेड़-बकरी पालकों को ऊन कतरन में सहायता मुहैया होगी। उन्होने सभी भेड़ पालकों से अपेक्षा की है कि सरकार द्वारा भेड़ पालकों के लिए जो भी योजनाए चलाई जा रही है उनका लाभ उठायें तथा सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा जो योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उनका लाभ भेड़-बकरी पालकों के प्राप्त हो उसके लिए उनसे समन्वय स्थापित करते हुए भेड़-बकरी पालकों योजनाओं का लाभ पंहुचाना सुनिश्चित करें।  उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भेड़ पालकों के लिए नई तकनीक शुरू की गयी है जिसका लाभ उन्हे उठाना है।

इस अवसर पर मा मंत्री ने उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की समीक्षा बैठक में भेड़-पालकों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गये, जिसमें मुख्यतः राज्य के भेड़ पालक समुदाय के 28 शिक्षित बेराजगार नवयुवकों को प्रशिक्षण मुहैया कराते हुए 15 रू0 प्रति किलों ऊन की दर से ऊन कतरन ग्रेडर/संग्रह कार्य के लिए दिये जाने पर संस्तुति की गयी, इस योजना के तहत मार्च 2017 में 21 चयनित नवयुवकों को केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर राजस्थान से एवं देश की प्रतिष्ठित ऊन मण्डी बीकानेर से प्रशिक्षण प्राप्त कराया जा चुका है। इस योजना के तहत 29 मशीन ऊन करतन शिविर, चिकित्सा शिविर एवं 13 भेड़ प्रदर्शनियों का आयोजन का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में मा मंत्री द्वारा राज्य सेक्टर योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण करवाने के भी निर्देश दिये। उन्होने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत भेड़-बकरी पालकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम कराने के भी निर्देश दिये, जिसके तहत पशुलोक ऋषिकेश एवं भैंसवाड़ा अल्मोड़ा में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होने कहा कि राज्य के 8 बड़े बाहुल्य जनपदों में भारत सरकार की एकीकृत भेड़-ऊन सुधार योजना के तहत जनपद उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, पिथौड़ागढ, देहरादून पौड़ी एवं बागेश्वर में संचालित की जा रही हैं, जिसमें 2.50 लाख भेड़ों को लाभान्वित करने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया है। उन्होने राज्य के भेड़ पालकों के लिए भी बीमा योजना संचालित करने के भी निर्देश दिये। उन्होने महिला बकरी पालन योजना के तहत राज्य में महिलाओं के हितार्थ परित्यक्ता महिला, विधवा महिला, निराश्रित महिला, दिव्यांग महिला, अकेली रह रही महिलाओं एवं आपदा प्रभावित महिलाओं के लिए योजना संचालित है। उन्होने यह भी निर्देश दिये हैं कि योजना के क्रियान्वयन के समय इस बात का ध्यान रहे कि कोई महिला अन्य किसी पेंशन का लाभ तो नही ले रही है, ऐसी  महिलाएं योजना के लिए पात्र नही है।  उन्होने वर्ष 2017-18 के लिए 30 लाख की धनराशि, 75 ईकाईयों की स्थापना के लिए प्रस्ताव पारि किया गया । बोर्ड बैठक में ऊन की दरों का भी निर्धारण पर भी विचार-विमर्श किया गया है। बैठक में उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के अन्तर्गत राजकीय भेड़/बकरी प्रजनन प्रक्षेत्रों के सुदृढीकरण एवं आधुनिकरण के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया गया।

बैठक में भेड़-बकरी पालकों के चरान-चुगान के परमिट के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी, जिस पर मा मत्रीं द्वारा वन विभाग द्वारा शासनादेश जारी करने हेतु कार्यवाही की जानी है इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी से उन्हे अवगत कराते हुए पत्रावली प्रस्तुत कराने के निर्देश दिये। उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्तराखण्ड पशुधन एवं उत्पाद विपणन निगम लि0 बनाये जाने, उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के ढांचे एवं कार्मिक की कमी, भेड़-बकरी पालकों का सहकारिता विभाग के अन्तर्गत पंजीकरण कराने एवं राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) से लाभान्वित किये जाने आदि बिन्दुओं पर चर्चा की गयी तथा  उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड की गवर्निंग बाॅडी हेतु 16 सदस्यों में से 9  सदस्यों का चयन करने का प्रस्ताव प्रस्तावित किया गया। उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड में अतिरिक्त कार्मिकों की तैनाती के सम्बन्ध में भी चर्चा की गयी। बैठक में पंतजलि योगपीठ के साथ सहयोग, बकरी स्वयंवर में प्रतिभागिता के सम्बन्ध में विचार-विमर्श, मोबाईल डिपिंग टैंक क्रय करने, राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्रों की भेड़ों के ग्रीष्मकालीन प्रवास/बुग्याल के दौरान कार्मिकों के यात्रा एवं अन्य भत्तों के सम्बन्ध में विचार-विमर्श एवं बकरी प्रदर्शनी के आयोजन के सम्बन्ध में चर्चा की गयी। मा मंत्री द्वारा बोर्ड की बैठक प्रत्येक छ माह में अनिवार्य रूप से करने के भी निर्देश दिये, जिसमें पशुपालकों की समस्याओं एवं सुझाव पर भी विचार-विमर्श किया जा सके।

बैठक में अपर सचिव वित्त अर्जुन सिंह, निदेशक डाॅ एस.एस बिष्ट, मुख्य अधिशासी अधिकारी डाॅ अविनाश आनन्द सहित सम्बन्धित अधिकारी एवं भेड़ पालक उपस्थित थे।

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