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राष्ट्रपति ने कर्नाटक विधान सौध की 60वीं वर्षगांठ पर विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को संबोधित किया

President of India addresses members of Karnataka Legislature on 60th anniversary of VidhanaSoudha
देश-विदेश

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने बैंगलुरू में विधान सौध के 60 वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित “वज्र महोत्सव” – हीरक जयंती समारोह में कर्नाटक विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों को संबंधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह इस भवन (विधान सौध) की 60वीं वर्षगांठ ही नहीं है, बल्कि दोनों सदनों में बहसों और चर्चाओं की हीरक जयंती है।  जिनके आधार पर  विधेयक और नीतियां पारित की गईं और जिनसे कर्नाटक के लोगों का जीवन बेहतर हुआ। इतना ही नहीं दोनों सदन कर्नाटक के लोगों के सिद्धांतों और आकांक्षाओं तथा ऊर्जा और गतिशीलता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। यह इमारत कर्नाटक में लोक सेवा के इतिहास का स्मारक है। इन दोनों सदनों की कार्यवाहियों में राजनीतिक जगत के कई दिग्गज शामिल हुए हैं। उन्होंने कई स्मरणीय चर्चाएं की हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि कर्नाटक का स्वप्न अकेले कर्नाटक के लिए ही नहीं है बल्कि पूरे देश का सपना है। कर्नाटक भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन है। यह एक छोटा भारत है जो अपनी सांस्कृतिक और भाषाई विशिष्टता खोए बिना पूरे देश के युवाओं का ध्यान खिंचता है। युवा यहां पर ज्ञान और नौकरी पाने के लिए आते हैं और वे अपना श्रम तथा बुद्धि निवेश करते हैं, जिससे सभी लाभांवित होते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक लोक सेवक होने का साथ ही राष्ट्र निर्माता हैं। दरअसल जो भी व्यक्ति ईमानदारी और समर्पण से अपने कर्तव्य निभाता है वह राष्ट्र निर्माता है। इस भवन का प्रबंधन करने वाले राष्ट्र निर्माता हैं। इसकी सुरक्षा करने वाले राष्ट्र निर्माता हैं। सामान्य नागरिकों के प्रयासों से नियमित रूप से जो प्रतिदिन कार्य किए जाते हैं, उससे राष्ट्र निर्मित होता है। इस विधान सौध में बैठ कर काम करने वाले विधायकों को विश्वास होता है कि वे इसे कभी नहीं भूलेंगे और इससे प्रेरणा लेकर अपना कार्य जारी रखेंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम विधायिका के तीन ‘डी’ से वाकिफ हैं। जिनका अर्थ है – डिबेट (बहस), डीसेंट (असहमति) और डिसाइड (फैसला) करने का स्थान है। और अगर हम इसमें चौथा ‘डी’ डिसेंसी (सभ्यता) जोड़ दें तो पांचवा डी अर्थात डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) वास्तविकता बन जाएगा। विधायिका राजनीतिक विश्वास, जाति और धर्म, लिंग या भाषा से ऊपर कर्नाटक के लोगों की इच्छाओं, आकांक्षाओं और आशाओं का प्रतीक है। हमारे लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए दोनों सदनों की सामूहिक बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के पवित्र मंदिर के रूप में विधान सभा और विधान परिषद को कार्य करना चाहिए एवं  राजनीतिक तथा नीतिगत स्तर को उठाने में योगदान देना चाहिए। कर्नाटक के लोगों के प्रतिनिधि के रूप में दोनों सदनों के सदस्यों के ऊपर विशेष जिम्मेदारी है। उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि हीरक जयंति को न केवल अतीत के गौरव के रूप में बल्कि इसे बेहतर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध होने के रूप में मनाया जाए।

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