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राष्ट्रपति ने 21वें विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया

President of India inaugurates 21st World Congress of mental health, calls for fighting stigma
देश-विदेशसेहत

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने नई दिल्ली में 21वें विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन केयरिंग फाउंडेशन व अन्य संगठनों के सहयोग से वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ द्वारा आयोजित किया गया है। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में पहली बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय मानिसक स्वास्थ्य सर्वे 2016 के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 14 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से पीड़ित है।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि महानगरों में रहने वालों लोगों तथा युवा वर्ग में मानसिक रोग का जोखिम सबसे ज्यादा है। भारत की 65 प्रतिशत आबादी की औसत उम्र 35 वर्ष से कम है। हमारे समाज का तेजी से शहरीकरण हो रहा है, ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य की संभावित महामारी का खतरा और भी बढ़ गया है।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों के लिए सबसे बड़ा अवरोध बीमारी का कलंक व बीमारी को अस्वीकार करना है। इसके कारण न तो इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाता है और न ही इनकी चर्चा की जाती है।

हमें मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों से सहानुभूति पूर्वक बात करना चाहिए। हमें उन्हें बताना चाहिए कि अवसाद तथा मानिसक तनाव जैसी बीमारियों का इलाज हो सकता है। ऐसी बीमारियों को छिपाने की जरूरत नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में एक बड़ी समस्या है मानव संसाधन की कमी। 125 करोड़ लोगों के देश में सिर्फ 7 लाख डॉक्टर हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह कमी और भी गंभीर है। हमारे देश में लगभग 5,000 मनोचिकित्सक और 2,000 से भी कम मनोवैज्ञानिक क्लिनिक हैं।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम देश में 22 उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण कर रहा है। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भारत के कुल 650 जिलों में से 517 को कवर किया गया है। मानसिक स्वास्थ्य को जमीनी स्तर पर ले जाने की कोशिश की जा रही है।

राष्ट्रपति ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह सम्मेलन योग, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण के सत्र आयोजित कर रहा है। जब लोग योग के बारे में बातचीत करते हैं तो वे आम तौर पर इसके मनोवैज्ञानिक लाभ का उल्लेख करते हैं। योग के मानसिक, मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक लाभ हमारे अध्ययन के विषय हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि चिंता और अवसाद से लड़ने में योग की भूमिका पर विशेष सत्र की चर्चा के महत्वपूर्ण बिदुओं से लोगों को अवगत कराया जाएगा और इससे मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की रोकथाम में मदद मिलेगी।

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