नई दिल्लीः राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट सीआईआई अध्यक्ष पुरस्कार एवं सीआईआई फाउंडेशन असाधारण महिला पुरस्कार के प्रस्तुतीकरण के अवसर पर दिया गया भाषण –
मैं आपके बीच, विशेष रूप से इस विशिष्ट समारोह के लिए आकर प्रसन्न हूं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) देश में आर्थिक एवं औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में सरकार एवं उद्योग के साथ घनिष्टतापूर्वक साझेदारी करता रहा है। मैं आपको सीआईआई पुरस्कारों की संकल्पना करने के लिए बधाई देता हूं, जो उद्योग में असाधारण प्रदर्शन करने वालों तथा अचिवरों और महिला उद्यमियों को सम्मानित करने का एक अवसर प्रदान करता है।
मैं सभी पुरस्कृत व्यक्तियों- बजाज ऑटो लिमिटेड के अध्यक्ष श्री राहुल बजाज जिन्हें लाइफ टाइम अचिवमेंट के लिए इस वर्ष का सीआईआई अध्यक्ष के पुरस्कार के लिए चुना गया है; शिक्षा एवं साक्षरता के लिए तेलंगाना की सुश्री जयाम्मा बंडारी; स्वास्थ्य के लिए पश्चिम बंगाल की सुश्री मोनिका मजूमदार और सूक्ष्म उपक्रम के लिए महाराष्ट्र की सुश्री कमल कुंभर को बधाई देता हूं। 2005 में गठित सीआईआई फाउंडेशन वूमन एक्जेम्पलर पुरस्कार समुदाय स्तर पर महिला अधिकारिता को बढ़ावा देने के लिए एक स्वागत योग्य पहल है। यह ऐसी महिलाओं को ढूंढने एवं उन्हें सम्मानित करने की एक पहल है जिन्होंने सभी बाधाओं के बावजूद उत्कृष्ट कार्य किया तथा भारत में विकास प्रक्रिया में उल्लेखनीय योगदान दिया। मुझे भरोसा है कि यह अनगिनत महिलाओं के लिए एक महान प्रोत्साहन होगा जो विभिन्न प्रकार से हमारे राष्ट्र एवं इसकी अर्थव्यवस्था में योगदान दे रही हैं।
मैं इससे अवगत हूं कि भारतीय उद्योग जगत ने देश की बेहतरी की दिशा में योगदान देने के लिए बेशुमार उत्साह एवं नवोन्मेषण का परिचय दिया है। भारत में उद्योग की पहुंच रोजगार, उद्यमशीलता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल समेत उपभोक्ता वस्तुओं या सामाजिक विकास लक्ष्यों जैसे विभिन्न तरीकों से हमारे नागरिकों के जीवन तक है। एक समावेशी विकास प्रक्रिया के लिए आवश्यक है कि भारतीय उद्योग जगत जिम्मेदारी एवं कॉरपोरेट नागरिकता का उत्तरदायित्व ग्रहण करें।
सीआईआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक वर्ष के दौरान लगभग 1270 कंपनियों ने सीएसआर से संबंधित गतिविधियों पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक व्यय किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है। मैं उद्योग जगत को यह स्मरण दिलाना चाहूंगा कि निधियों के अतिरिक्त देश को आपके विचारों, ऊर्जा एवं प्रोत्साहन की भी जरूरत है।