देहरादून: ‘‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस’’ के अवसर पर आज जिला सूचना कार्यालय में जिला सूचना अधिकारी अजय मोहन सकलानी की अध्यक्षता में ‘‘ मीडिया के समक्ष चुनौति’’ विशय पर एक गोश्ठी का आयोजन किया गया जिसका संचालन फिल्म विकास परिश्द के सदस्य एवं स्वतन्त्र पत्रकार चन्द्रवीर गायत्री द्वारा किया गया।
गोश्ठी में जिला सूचना अधिकारी अजय मोहन सकलानी द्वारा जनपद के सभी सम्मानित पत्रकारों का राश्ट्रीय प्रैस दिवस पर आयोजित गोश्ठी में स्वागत किया गया और मीडिया के समक्ष चुनौति विशय पर सभी पत्रकारों को सम्बोधन हेतु आमंत्रित किया गया। गोश्ठी में स्वतंत्र पत्रकार साधना षर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता के अति व्यवसायिकरण के चलते खोजी पत्रकारिता, मिषन पत्रकारिता तथा स्वतन्त्र पत्रकारिता अपना महत्व खोती जा रही है। गोश्ठी में पत्रकार बी.डी षर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में छोटे, मंझौले और स्थानीय समाचार पत्रों का पत्रकारिता में गैर जुनूनी लोगों के प्रवेष करने तथा बहुत से नियमों के चलते सामचार पत्र दयनीय स्थिति में है। उन्होने कहा कि इस भीड़ में वास्तविक पत्रकारिता आंसू बहा रही है तथा इसमें पत्रकार स्वयं तथा नियम संचालनकर्ता दोनो समान रूप से जिम्मेदार हैं। उन्होने कहा कि आज पत्रकारिता करने वालों को आत्मावलोकन करने की जरूरत है कि छोटे, मंझौले व स्थानीय समाचार पत्रों के स्तर को कैसे उंचा उठाया जाये साथ ही इस बात पर भी संतुलन साधा जाये कि छोटे समाचार पत्र/पत्रकार अपनी जीविका भी सुरक्षित बना सकें तथा पत्रकारित के मिषन की भी पूर्ति की जा सके। गोश्ठी में बुद्धदेव षर्मा ने अलग भाशा के समाचार पत्रों को उभारने तथा संस्कृत भाशा में पत्रकारिता करने पर जोर दिया तथा सुझाव दिया कि संस्कृत को भारत की राश्ट्रीय भाशा का दर्जा मिलना चाहिए और इस पर जहां तक सम्भव है सभी भाशा भाशी राज्य सहमत होंगे। गोश्ठी में भुवन उपाध्याय ने कहा कि स्वतंत्र पत्रकारिता करने में चुनौती जरूर हैं फिर भी व्यवहारिकता, निर्भिकता तथा अपने काम की सही जानकारी के बल बूते पर अपनी एक अलग पहचान बनाई जा सकती है। उन्होने कहा कि पत्रकारित में जहां बहुत सारी चुनौतियां हैं तो वहां अनेक अवसर भी हैं, बस आवष्यकता है तो एक सार्थक प्रयास करते हुए उन अवसरों का लाभ उठाया जाये।
गोश्ठी के संचालनकर्ता व स्वतंत्र पत्रकार चन्द्रवीर गायत्री ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज पत्रकारिता करने वालों को अपने अन्दर स्वंय झांकना चाहिए कि जो हमारे समक्ष चुनौतियां है वह कहीं न कहीं स्वयं हमारे द्वारा तय की हुई है और हम कन्ट्रोवर्सी में आ गये हैं तथा हो सकता है कि किसी विषेश पक्ष को लेकर पत्रकारिता कर रहे हैं। गोश्ठी में पत्रकार निषीथ सकलानी ने कहा कि पत्रकारिता में थोड़ा सा पेषेवर होना स्वभाविक है क्योंकि इसी पर पत्रकारों की जीविका भी निर्भर है तथा उन्होने आग्रह किया कि छोटे, ग्रामीण क्षेत्र के, सीमांत क्षेत्र के तथा अलग भाशा में बहुत कम छपने वाले समाचार पत्रों पर थोड़ी सी सहानुभुति की आवष्यकता है।
गोश्ठी में षूरवीर भण्डारी, एस.पी उनियाल, रामगोपाल षर्मा, षमषेर सिंह बिश्ट, नरेष रोहिला, विजय कुमार मिश्रा, तिलकराज, रजनेष ध्यानी, सर्वेष्वर प्रसाद लखेड़ा, आषुतोश ममगाई, गिरधर गोपाल लुथरा, अषोक अनेजा, अरूण कुमार मोगा, प्रकाष कुलाश्री द्वारा भी अपने विचार रखे।
गोश्ठी के समापन करते हुए जिला सूचना अधिकारी अजय मोहन सकलानी ने कहा कि हमारा प्रयास पत्रकारों तथा उनके समाचार पत्रों की समस्याओं का उचित निराकरण करने का रहता है तथा हमारी यह भी कोषिष रहती है कि वास्तविक पत्रकार के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हों तथा ऐसे पत्रकार तथा समाचार पत्र जो पत्रकारिता की छवि को धूमिल करते हैं उन पर भी नियंत्रण किया जाये।
इस अवसर पर पत्रकार विकास गर्ग, सचिन गोनियाल, योगेन्द्र मलिक, सुभाश कुमार, पी.एस रांगड़, किषोर बहुगुणा प्रदीप राणा, अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी वीरेन्द्र राणा, संरक्षक रतीलाल, कनिश्ठ सहायक इन्द्रेष चन्द्र, तकनीकि सहायक आनन्द सिंह, वाहन चालक लक्ष्मण सिंह अनुसेवक प्रतिभा लक्ष्मी व पंकज आर्य उपस्थित थे।