नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के वार्षिक दीक्षांत समारोह में पधारे और छात्रों को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार समसामयिक चुनौतियों से निपटने के लिए शैक्षिक वातावरण में बदलाव करती रही है। भारत को एक ‘ज्ञान की महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करना मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है। पूरा विश्व भारत के छात्रों की असाधारण प्रतिभा से अवगत है। इस प्रतिभा के समुचित इस्तेमाल के लिए देश के सभी शैक्षिक संस्थाओं को योगदान करना होगा। ‘जामिया’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से इस दिशा में विशेष योगदान की आशा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकास के साथ समाज के प्रत्येक हिस्से को जोड़ने के क्रम में, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की तर्ज पर ‘विश्वविद्यालय के सामाजिक दायित्व’ पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जामिया ने ‘उन्नत भारत अभियान’ के तहत पांच गांवों को गोद लिया है। उन्होंने जामिया से मांग करते हुए कहा कि क्या यह कुछ और गांवों को गोद ले सकता है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए काम करते समय, छात्रों को उन गांवों तक जाना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें ग्रामीण लोगों को गांव की स्वच्छता, साक्षरता, सभी बच्चों के टीकाकरण और पोषण जैसी योजनाओं से अवगत कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी देनी चाहिए। राष्ट्रपति ने बताया कि ऐसे प्रयासों से समाज के कमजोर वर्गों को मदद मिलेगी और ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति छात्रों की जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ेगी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य हस्तियों में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और मणिपुर की राज्यपाल एवं जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलाधिपति डॉ नजमा हेपतुल्ला शामिल थे।