नई दिल्लीः राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने हैदराबाद में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद में अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद के पहले दीक्षांत समारोह के पावन अवसर को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब हम इस विश्वविद्यालय की प्रभावशाली उपलब्धियों का समारोह मना रहे हैं, हम इन कुछ दीर्घकालिक चिंतनों को साझा करना चाहते हैं जो शिक्षा के हमारे विजन को आगे बढ़ाने में हमें दिशा निर्देश देते हैं। उन्होंने कहा कि उनके विचार से ज्ञान को हमेशा ही जीवन के पथ का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए और जीवन को अनिवार्य रूप से अध्ययन के पथ को सन्निहित करना चाहिए। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि अनंत समय से एशिया, खासकर, दक्षिण पूर्वी एशिया ने अध्ययन के नवीन रास्ते खोले हैं।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि आज भारत एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में, खासकर, सार्वजनिक संस्थानों में उच्चतर शिक्षा को बनाये रखने एवं उसे मजबूत बनाने की बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे संस्थानों के लिए चुनौतियां बाहर भी हैं और अंदर भी। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की स्थिति में उच्चतर शिक्षा के पुनर्निर्माण के लिए प्रशासनिक बुद्धिमता की आवश्यकता है। प्रशासनिक ताकत और संवेदनशीलता अध्ययन के पथ की बाधाओं को दूर कर देती है और शिक्षाविदों को फलने फूलने का अवसर देती है। यह बात इस विश्वविद्यालय ने बखूबी प्रदर्शित कर दिया है।
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