नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार 2016 प्रदान किए। इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत की संस्थागत एवं शैक्षणिक दोनों ही स्तरों पर भू वैज्ञानिक अनुसंधान की एक समृद्ध परंपरा रही है। खनन मंत्रालय द्वारा गठित राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार भू वैज्ञानिकों के योगदानों एवं वर्षों के समर्पित कार्यों को सम्मानित करने की एक सराहनीय पहल है। पिछले पांच दशकों के दौरान ये पुरस्कार भूविज्ञानों के क्षेत्र में सबसे सम्मानित पुरस्कारों के रूप में उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों को उत्कृष्टता के उच्चतर स्तरों को अर्जित करने को प्रोत्साहित किया है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि दुनिया भर में राष्ट्रों के लिए यह आवश्यक है कि वे सतत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। इस मॉडल में, प्रगति एवं विकास न केवल खनिज अवयवों की उपलब्धता पर निर्भर करता है बल्कि उनके न्यायोचित दोहन पर भी निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि सतह के निकट के खनिज भंडार में बहुत तेजी से गिरावट आ रही है, इसलिए भूवैज्ञानिक समुदाय को हमारे लिए आवश्यक खनिजों के लिए गहरे स्रोतों को पाने के जरिये भविष्य के संसाधनों की मांग की पूर्ति के लिए अपने कदमों में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश को आत्म निर्भर बनाने तथा अपनी कार्यनीतिक आवश्यकताओं के लिए बाहरी स्रोतों से आयातों पर निर्भरता घटाने के लिए रणनीतिक एवं महत्वपूर्ण खनिज अवयवों की खोज पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि देश की संसाधन आवश्यकताओं पर ध्यान देने के साथ-साथ हमें सामुद्रिक क्षेत्रों पर भी विचार करना चाहिए, जिनमें फॉसफोराइट, गैस हाईड्रेट एवं समुद्री सतहों पर भारी मात्रा में सल्फाइड की प्रचुर संभावना मौजूद है।
इस अवसर पर जो गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, उनमें केन्द्रीय बिजली, कोयला, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा तथा खनन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल, खनन मंत्रालय में सचिव श्री अरूण कुमार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव श्री आशुतोष शर्मा और भारतीय भूगर्भीय सर्वे के महानिदेशक श्री एम.राजू भी शामिल थे।
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