Online Latest News Hindi News , Bollywood News

रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने काजीगुंड-बारामूला के बीच पांच नये हॉल्ट स्टेशनों की आधारशिला रखी

रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने काजीगुंड-बारामूला के बीच पांच नये हॉल्ट स्टेशनों की आधारशिला रखी
देश-विदेशव्यापार

     कश्‍मीर घाटी क्षेत्र में जनता की नये हाल्‍ट स्‍टेशन बनाने की मांग को पूरा करने के लिए रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने बारामूला-काजीगुंड रेल सेक्‍शन पर पांच नये हॉल्‍ट स्‍टेशनों – संगदान, मंगहल, रतनिपोर, नादिगाम और रजवान के निर्माण की आधारशिला रखी। इस बारे में आज श्रीनगर के शेर-ए-कश्‍मीर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन केन्‍द्र में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में जम्‍मू कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती, उप मुख्‍यमंत्री डॉ. निर्मल कुमार सिंह, राज्‍यसभा के सांसद श्री नजर अहमद लॉय विशिष्‍ट अतिथि थे। उत्‍तर रेलवे के महाप्रबंधक श्री आर.के. कुलश्रेष्‍ठ और वरिष्‍ठ रेलवे अधिकारी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। बारामुला-काजीगुंड रेल सेक्‍शन के नये स्‍टेशन इस प्रकार हैं – संगदान (क्वाजीगुंड-सदुरा), मंगहॉल (सदुरा-अनंतनाग), रतनिपोरा (अवंतीपुरा-काकापोरा), नादिगाम और रजवान स्टेशन (बडगाम-मैजोम)। ये हॉल्‍ट स्‍टेशन इन क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों की परिवहन जरूरतों को पूरा करेंगे।

       कश्मीर घाटी में सभी मौसमों के लिए चलाई गई विशेष डेमू ट्रेन यहां के निवासियों के लिए वास्‍तविक जीवन रेखा बन गई हैं। इन डेमू ट्रेनों में रोजाना औसतन 25,000 यात्री सफर करते हैं और इनसे समतुल्‍य टिकट बिक्री आय लगभग साढ़े तीन लाख रुपये प्रतिदिन है।

कश्मीर घाटी में रेल सेवाओं की पृष्ठभूमि की जानकारी:

     जम्मू-कश्मीर में एक वैकल्पिक और विश्वसनीय जन परिवहन सेवा उपलब्‍ध कराने के दृष्टिकोण से भारत सरकार ने कश्‍मीर घाटी को भारतीय रेलवे के नेटवर्क से जोड़ने के लिए 326 किलोमीटर (बाद में इसे बढ़ाकर 345 किलोमीटर कर दिया गया) रेलवे लाइन की योजना बनाई थी। स्‍थानीय जनता और पूरे देश के लिए एक महत्‍वपूर्ण परियोजना जम्मू-उधमपुर-कटरा-काजीगुंड-बारामूला रेल लाइन परियोजना को राष्‍ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया गया है। यह परियोजना भारतीय उपमहाद्वीप में बनाई जाने वाली शायद सबसे मुश्किल नई रेल लाइन परियोजना है। यह परियोजना हिमालय से गुजरती है, जो अपेक्षाकृत युवा पर्वत हैं और भौगोलिक आश्‍चर्यों से भरे तथा उच्‍च टेकटोनिक गतिविधि और बेहद ठंडे मौसम की परिस्थितियों से ग्रस्‍त हैं।

    2005 में जम्मू-उधमपुर रेलवे लिंक का कार्य पूरा होने से रेल संपर्क में नए युग की शुरुआत हुई। कश्‍मीर घाटी में रेलवे लाइन का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया गया। रेलवे ने 2 अक्‍टूबर, 2008 में अनंतनाग-मजहोम, फरवरी 2009 में मजहोम-बारामूला सेक्‍शन और अक्‍टूबर 2009 में काजीगुंड-अनंतनाग के मध्‍य बकाया 18 किलोमीटर लंबे सेक्‍शन के कार्य की शुरूआत की। इस प्रकार कश्‍मीर घाटी में 119 किलोमीटर लम्‍बी काजीगुंड-बारामूला रेलवे लाइन का निर्माण पूरा हुआ। रेलवे तभी से 345 किलोमीटर लम्‍बी रेलवे लाइन के बकाया हिस्‍से को पूरा करने के लिए कार्य कर रहा है। उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन का 25 किलोमीटर सेक्‍शन जुलाई, 2014 में शुरू हुआ और कटरा-बनिहाल की 111 किलोमीटर लम्‍बी लाइन का कार्य प्रगति पर है, जिसका मार्च, 2021 तक पूरा होने का लक्ष्‍य है। उत्‍तर रेलवे, केआरसीएल और आईआरसीओएन द्वारा निर्मित किये जा रहे इस सेक्‍शन में 97.34 किलोमीटर लम्‍बी सुरंगें, 27 बड़े और 10 छोटे पुल तथा 203 किलोमीटर की पहुंच सड़क होंगी। इस परियोजना का 45 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है, जिस पर 9419 करोड़ रुपये का खर्च आया है। यूएसबीआरएल परियोजना में बड़ी संख्‍या में सुरंगें और पुल बनाए जाएंगे। इनमें सबसे महत्‍वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कार्य सलाल पन विद्युत बांध के पास चिनाब नदी की गहरी घाटी में निर्माण करना है। इससे भूकंप जोन पांच में लांग स्‍पेन पुल के निर्माण की जरूरत सामने आई है। चिनाब पुल की कुल लम्‍बाई 1315 मीटर है और 100 किलोमीटर की डिजाइन स्‍पीड है। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे चलने वाली हवा के वेग को भी सहन कर सकता है और इसका जीवन काल 120 वर्ष होगा। स्‍टील मेहराब से बना यह पुल स्‍थानीय विशेषज्ञता और निर्माण सामग्री का उपयोग करके खूबसूरती से डिजाइन किया गया है। इस पुल की ऊंचाई 359 मीटर है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से करीब 35 मीटर ऊंचा है। पूरा होने पर यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल होगा।

     पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला जम्‍मू और कश्‍मीर घाटी को अलग करती है। इन्‍हें आपस में जोड़ने की परियोजना के रूप में भारतीय रेलवे ने पहले 11.21 किलोमीटर लम्‍बी सुरंग टी-80 का निर्माण किया था, जो एशिया में सबसे लम्‍बी परिवहन सुरंग है। बनिहाल-बारामूला रेलवे सेक्‍शन के मौजूदा स्‍टेशनों में बनिहाल, शाहबाद हॉल्ट, काजीगुंड, सदुरा, अनंतनाग, बिजबेहरा, पंजगाम, अवंतिपुरा, काकापोरा, पंपोर, श्रीनगर, बडगाम, मझहोम, पट्टन, हामरे, सोपोर और बारामूला शामिल हैं। इस रेलवे सेक्‍शन में 15 जोड़े डेमू सेवाएं परिचालित हैं, जो इस क्षेत्र में सभी मौसम में कनेक्टिविटी उपलब्‍ध कराती हैं। जुलाई 2015 में अतिरिक्‍त डेमू सेवाएं शुरू की गईं और उसकेबाद कार्यालय जानेवालों तथा छात्रों की सुविधा के लिए फास्‍ट डेमू बनिहाल-बारामूला और बारामूला-बडगाम के बीच मई 2016 में शुरू की गई। वाडी की सायर-ए बच्‍चों की विशेष रेलगाड़ी है, जो 26 नवम्‍बर, 2016 को बनिहाल और बारामूला के बीच शुरू की गई थी, अब यह हर माह के दूसरे तथा चौथे रविवार को चलती है।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More