नई दिल्ली: रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज नई दिल्ली में इंस्टीट्यूशन ऑफ परमानेंट वे इंजीनियर्स (आईपीडब्ल्यूई) (भारत) की एक अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस संगोष्ठी का विषय ‘ट्रैक प्रौद्योगिकियां और त्वरित गति के निर्माण की वैश्विक परिपाटियां’ था।
इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, श्री ए.के. मितल, सदस्य इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड श्री आदित्य कुमार मित्तल और रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों सहित 15 वक्ताओं ने हाई स्पीड रेल यथा जापानी ‘’शिंकान्सेन’’ एसएनसीएफ (फ्रांस) और स्पेन हाई स्पीड रेल्स (एचएसआर) के अतिरिक्त ट्रैक्स के प्रबंधन की प्रणालियों के इतिहास, ट्रैक्स के संघटकों, रेल फास्टनर्स आदि तथा एचएसआर में अपनाए गए प्रौद्योगिकीय मानकों के बारे में अपने विचार प्रकट किए। संगोष्ठी का आयोजन चार सत्रों यथा – ट्रैक्स संबंधी प्रौद्योगिकियों में वैश्विक परिपाटियां सत्र-1 और सत्र-2, त्वरित गति के निर्माण सत्र 3 और 4 में किया गया। तकनीकी सत्र के अंतर्गत जापान, ऑस्ट्रिया, अमरीका जैसे देशों में त्वरित गति के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकियां, प्रोजेक्ट डिलीवरी मैथॅड्स के अलावा वर्तमान में बिछाये जा रहे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर में ट्रैक कार्य पद्धतियां इंजीनियरों द्वारा यांत्रिक तरीके से ट्रैक बिछाने की मशीनों के अतिरिक्त अपनायी जाने वाली शामिल थी। इस अवसर पर श्री प्रभु ने भारतीय रेलवे के अभियांत्रिकी विभाग की व्याiपार योजना, भूकंपरोधी अभियांत्रिकी के निर्माण पर आरडीएसओ हैंडबुक, जारी की। इसके अलावा उन्होंने भारतीय रेलवे के कौशल विकास मिशन के मद्देनजर आईपीडब्ल्यूई द्वारा इंजीनियरिंग में डिप्लोमा का शुभारंभ किया।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि भारतीय रेलवे बहुत ही पेशेवर संगठन है, जो नीति और कार्यान्वयन को सफलतापूर्वक संचालित करता है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विशेषकर परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने की बढ़ती आवश्यकता और नए ट्रैक बिछाने के लक्ष्य को तेजी से हासिल करने जैसे बेहतर निष्कर्ष पाने के लिए बदलती तकनीक तक पहुंच बनाना आवश्यक है। उन्होंने ट्रैक्स को भारतीय रेलवे की रीढ़ करार देते हुए कहा कि नए ट्रैक बिछाने में कॉरिडोर वाला दृष्टिकोण अपनाने से नई रेल परियोजना के संदर्भ में लाभ का समेकन होगा।
इस अवसर पर प्रमुख भाषण देते हुए सदस्य इंजीनियर, रेलवे बोर्ड श्री आदित्य कुमार मित्तल ने हाल ही में उठाए गए नए कदमों पर प्रकाश डाला। इन कदमों में वेब अनेब्लड ‘पटरी प्रबंधन प्रणाली (ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम’-टीएमएस), ‘ट्रैक मशीनों की निगरानी और अनुरक्षण प्रणाली (ट्रैक मशीन्स मॉनिटरिंग एंड मैनटेनेन्स सिस्टम)’, ‘परियोजना प्रबंधन और सूचना प्रणाली’, ‘सीआरएस सैंक्शन्स मॉनिटरिंग एप्लीकेशन’, निर्माण और संरचना सूचना प्रणाली, भारतीय रेलवे की परिसम्पत्तियों की जीआईएस और जीपीएस मैपिंग और विशाल परियोजनाओं की निगरानी के लिए उपकरणों और सी सी कैमरों का इस्तेमाल शामिल हैं। बड़े और भारी पीएससी स्लीपर को अपनाने के लिए वैश्विक परिपाटियों के मुताबिक परीक्षण किये जा रहे हैं, जिनसे ट्रैक्स के फ्रेम की प्रतिरोधकता में वृद्धि होगी ।
ट्रैक संबंधी प्रौद्योगिकी और त्वरित गति के निर्माण की वैश्विक परिपाटियों के बारे में विचार-विमर्श किया गया तथा विस्तृत आंकड़ों सहित विचारोत्तेजक पत्र प्रस्तुत किये गये। संगोष्ठी के अंत में,भारतीय रेलवे सिविल इंजीनियरिंग संस्थान के निदेशक ने भविष्य की कार्रवाई का सारांश प्रस्तुत किया।
नेटवर्क के प्रसार पर व्यापक बल दिए जाने के कारण भारतीय रेलवे अभूतपूर्व बदलाव और कायापलट का साक्षी बन रहा है। इस नेटवर्क को बढ़ती गति और हैवियर एक्सेल लोड ऑपरेशन के लिए अद्यतन किया जा रहा है। हाई स्पीड रेल नेटवर्क की परिकल्पना की गई है और वह आकार ले रही है। ऐसे परिदृश्य में आधुनिक ट्रैक टैक्नोलॉजी, हाई स्पीड रेल और त्वरित गति वाली निर्माण कार्य पद्धतियों के क्षेत्र में बेहतरीन वैश्विक प्रौद्योगिकियों की पहचान और उन्हें अपनाना आवश्यक हो जाता है।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक और निर्माण विशेषज्ञों की भागीदारी को आकृष्ट करना था, ताकि वे इस क्षेत्र के बारे में अपनी जानकारी को साझा कर सकें और नवीनतम परिपाटियों के बारे में चर्चा कर सकें। हाई स्पीड और सेमी हाई स्पीड रेल निर्माण पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
संगोष्ठी में जापान, स्पेन, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस आदि देशों के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने 11 पेपर प्रस्तुत किये।
इंस्टीट्यूशन ऑफ परमानेंट वे इंजीनियर्स :
यह इस संस्था की स्थापना का स्वर्ण जयंती वर्ष है। इसकी स्थापना 50 साल पहले पुणे में की गई थी।
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