नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो ने आज (5 जून, 2017) श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र शार, से देश के नये विकसित शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी मार्क-थ्री डी वन का सफल प्रक्षेपण किया और इसके ज़रिए उपग्रह जी सैट-19 को भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया। जीएसएलवी मार्क-थ्री का यह प्रथम कक्षीय मिशन था, जिसका लक्ष्य पूरी तरह देश में निर्मित क्रायोजनिक ईंजन सहित, इस यान की क्षमता का मूल्यांकन करना था। . उपग्रह जी सैट-19 का भार वजन तीन हजार 136 किलोग्राम है। भारत की धरती से छोड़ा जाने वाला यह देश का सबसे भारी उपग्रह है।
सुचारू रूप से चली साढ़े पच्चीस घंटे की उल्टी गिनती के बाद, पहले से निर्धारित, भारतीय समय के अनुसार शाम पाचं बजकर 28 मिनट पर सेकेंड लांच पैड से 640 टन भार के जीएसएलवी मार्क-थ्री का प्रक्षेपण मिशन प्रारंभ हुआ। इसके बाद उपग्रह के प्रक्षेपण का प्रमुख चरण शुरू हुआ। इंजन की कार्यक्षमता और स्थिति पूर्वानुमान के अनुसार सही सिद्ध हुई। प्रक्षेपण के करीब 16 मिनट बाद जीसैट-19 उपग्रह को सफलता पूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
जीएसएलवी से पृथक होने के तत्काल बाद कर्नाटक में हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। जीसैट-19 एक उच्च प्रवाह-क्षमता वाला संचार उपग्रह है। जीएसएलवी मार्क थ्री डी-वन का प्रक्षेपण कई मायनों में खास है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों का परिणाम है। इसरो ने जटिल क्रायोजनिक इंजन को स्वदेश में विकसित कर इतिहास रचा है।
आने वाले दिनों में, जीसैट-19 की कक्षा को वर्तमान भूस्थिर अंतरण कक्षा से ऊंचा उठाते हुए इसकी अंतिम गोलाकार भूस्थिर कक्षा में स्थापित किया जायेगा। इसके लिए विभिन्न चरणों में उपग्रह की लिक्विड अपोजी मोटर को फायर किया जायेगा। इस आपरेशन के अंतिम चरण में उपग्रह के सोलर पैनल और एंटीना रिफ्लेक्टर सक्रिय किए जाएंगे। निर्धारित स्लॉट में स्थापित होने और कक्षा में इसके पेलोड के सफल परीक्षणों के बाद उपग्रह की सेवाएं प्रारंभ हो जाएंगी।