संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति को लेकर फिर चिंता जताई है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने कहा कि म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘नरसंहार और जातीय सफाए’ जैसी संभावित कार्रवाई धर्म आधारित टकराव को जन्म दे सकती है. उनके मुताबिक यह टकराव देश के बाहर भी फैल सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने कहा, ‘म्यांमार बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहा है जिसका क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर हो सकता है.’ उन्होंने आगे कहा कि म्यांमार सामाजिक आर्थिक विकास के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी ‘संस्थानिक भेदभाव’ को नहीं छिपा सकता. जैद राद अल हुसैन का यह बयान बीते हफ्ते म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों की सामूहिक कब्रें मिलने के बाद आया.
बीते साल अगस्त में म्यांमार सेना द्वारा रखाइन राज्य में रोहिंग्या विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद बड़े पैमाने पर विस्थापन सामने आया था. रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद लगभग सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी थी. म्यांमार ने रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न से इनकार किया था. लेकिन उसने पत्रकारों और संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को यहां जाने और नरसंहार को लेकर शरणार्थियों के दावे को जांचने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था.
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