लखनऊ। सूबे की राजधानी की लाइफ लाइन मानी जाने वाली गोमती नदी के उद्धार का काम शुरू हो चुका है। लंबे समय से गोमती नदी को पूरी तरह से प्रदूषण से मुक्त करने के अभियान को मुख्य सचिव आलोक रंजन ने शुरू किया।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कल बटन दबाकर गोमती बैराज के दस में से एक गेट को खोल दिया। इसी के साथ ही गोमती का पानी आगे की तरफ बहने लगा। अब नदी के पानी को बहाकर पक्का पुल से लेकर गोमती बैराज से डेढ़ किलोमीटर आगे (कुल आठ किलोमीटर) तक गोमती की तलहटी की सफाई की जाएगी। एक गेट को ही खोला गया है। ऐसा इसलिए किया गया है कि अधिक मात्र में पानी आगे जाने से आसपास के इलाकों में बाढ़ की स्थिति न बन सके।
मुख्य सचिव ने बताया कि गोमती को आठ किलोमीटर में तलहटी तक साफ किया जाना है। सफाई के बाद गोमती के दोनों किनारों में दीवार खड़ी की जाएगी, जिससे गोमती की जमीन का उपयोग शहरी विकास के लिए किया जा सके। मुख्य सचिव ने बताया कि नदी के किनारे के स्थानों को इस प्रकार विकसित किया जाएगा, जिससे आम नागरिक गोमती नदी की सुन्दरता तथा स्वच्छ हवा लेने के लिए नदी किनारे खुले स्थान पर आ सकें। उन्होंने कहा कि गोमती नदी की सफाई से निकलने वाली गाद एवं मलबा आदि का निस्तारण नगर निगम डम्पर एवं अन्य उपकरणों के माध्यम से करेगा। कुछ मलबे का प्रयोग डायफ्राम वाल एवं अन्य संरचनाओं के फिलिंग में भी किया जायेगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि गोमती नदी की सफाई के लिए कुडिय़ाघाट पर 120 मीटर लंबा और 22 मीटर चौड़ा अस्थाई बैराज बनाकर पानी रोका गया है। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है। जब नदी की धारा को रोककर उसकी सफाई की जाएगी। इससे गोमती सिर्फ साफ ही नहीं होगी, बल्कि उसमें पानी की कमी का रोना भी खत्म हो जाएगा। गोमती से शारदा व घाघरा नदी को जोड़ा जाएगा, जिससे उसमें हर समय पर्याप्त पानी बना रहे। सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव दीपक सिंघल ने बताया कि गोमती नदी का उद्गम स्थल पीलीभीत में माधो टांडा में जहां पर इसका डिस्चार्ज 1. 50 लाख हजार क्यूसेक है। प्रस्तावित परियोजना के माध्यम से गोमती-घाघरा-शारदा एवं गंगा नदी को लिंक किया जाएगा, जिससे गोमती नदी में पर्याप्त जल स्तर बना रहे। गोमती नदी में पर्याप्त जल स्तर बनाने के लिए शारदा नहर प्रणाली के दो स्केपों के माध्यम से भी पानी लाया जाएगा। घाघरा में आने वाली बाढ़ के दौरान पानी को गोमती में छोड़ा जा सकेगा।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि गोमती नदी के चैनेलाइजेशन एवं सड़क निर्माण के साथ-साथ विकास प्राधिकरण द्वारा लन्दन आई की तर्ज पर आई विकसित किया जायेगा। प्रस्तावित परियोजना के लिए गोमती नदी के किनारे जितनी भी सरकारी जमीन है, उसे चिन्हित कर लिया गया है तथा सिंचाई विभाग को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। गोमती नदी में जो नाले गिर रहे हैं, उन्हें गोमती नदी में शोधन के उपरान्त डालने के लिए एसटीपी की क्षमता में वृद्धि की जाएगी। इसके लिए अलग से बजट उपलब्ध कराया जाएगा। रिवरफ्रंट डेवलपमेन्ट के फलस्वरूप रिक्लेम भूमि का व्यावसायिक उपयोग प्राप्त धनराशि का उपयोग प्रस्तावित परियोजना में किया जायेगा। मुख्य सचिव ने बताया कि सीएम अखिलेश यादव एवं सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री शिवपाल सिंह ने दो माह पूर्व गोमती को साफ और उसके जीर्णोद्धार के निर्देश दिए थे।
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