लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ पूर्व पदाधिकारियों ने चिंता जताई दिए सुझाव
- लखनऊ विश्वविद्यालय में घट रही घटनाएंे स्वस्थ शैक्षणिक माहौल के लिए निराशा पैदा करती है। हाल की घटनाओं के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन एवं छात्रगण अपनी जिम्मेदारी से विरत नहीं हो सकते।
- उक्त विचार एक संवाददाता सम्मेलन में विश्वविद्यालय छात्र संघ के जाने-माने पूर्व पदाधिकारियों ने व्यक्त किए।
- पूर्व छात्र नेताओं ने कहा कि विश्वविद्यालय सहित शिक्षण संस्थाओं को सुचारू पूर्वक चलाने के लिए प्रशासन एवं कुलपति सहित सभी के लिए छात्रों के जनतांत्रिक अधिकारों की अनदेखी करना शैक्षणिक माहौल को बाधित करता है। अपने समय के जाने-माने छात्र नेताओं ने कहा कि छात्रों को अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से ही संघर्ष और अपनी आवाज मुखरित करना चाहिए। हिंसा या किसी का अनादर जनवादी प्रतिरोध की शक्ति को कमजोर करता है।
- पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों ने आगे कहा कि हाल की घटनाओं में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी पैमाने पर खरे उतरने वाले छात्रों को राजनीतिक द्वेश के आधार पर विश्वविद्यालय में प्रवेश देने से मना करके उचित नहीं किया। छात्रों को कुलपति एवं गुरूओं से अपने अधिकारों की रक्षा का अधिकार मांगना स्वाभाविक है परन्तु सीमाएं तोड़ना भी अनावश्यक था।
- पूर्व छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय की गरिमा को बचाने की संयुक्त जिम्मेदारी कुलपति, विश्वविद्यालय प्रशासन अध्यापकगण एवं छात्रों पर है। राज्य के श्री राज्यपाल कुलाधिपति होने के नाते मूकदर्शक नहीं बने रह सकते और उन्हें कुलपति, राज्य सरकार, प्रशासन एवं छात्रों, कर्मचारियों के बीच संवाद कराने की पहल करनी चाहिए।
पूर्व पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय समस्या समाधान के लिए निम्न पहल की वकालत की हैः-
1. छात्रों के जनतांत्रिक अधिकारों को लोकतांत्रिक मान्यता देनी चाहिए एवं विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव कराए जाने की पहल की जाए।
2. विश्वविद्यालय में सभा, सेमिनार, परिचर्चा सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विषयों पर विद्यतजनों से कराये जाने पर कोई प्रतिबन्ध विश्वविद्यालय प्रशासन न लगाए।
3. जिन 21 छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रवेश न देने का निर्देश जारी किया है। वह निरस्त किया जाय। उनके भविष्य को देखते हुए उन छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया जाए जो मेरिट के अन्तर्गत आते हों। दुर्भावना, भेदभाव, राजनीतिक छुआछूत के आधार पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही न की जाए।
4. जिन निर्दोष छात्र-छात्राओं को फर्जी मुकदमें लगाकर जेल भेजा गया है। उन मुकदमों को समाप्त कर उनकी शीघ्र रिहाई की जाए।
5. गुरूजनों के सम्मान की उपेक्षा न की जाए।
6. उपरोक्त प्रमुख बिन्दुओं को ध्यान में रखकर कुलपति महोदय पहल करें।छात्र कुलपति को सम्मान देते हुए आगे बढ़ें। पूर्व पदाधिकारी ऐसी किसी भी पहल के लिए अपना पूर्ण सर्मथन देंगे और प्रक्रिया में शामिल होंगे।
इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षगण सर्व श्री सत्यदेव त्रिपाठी, अतुल अनजान, अरविन्द सिंह गोप, डाॅ0 राजपाल कश्यप, अरविन्द कुमार सिंह, प्रमोद तिवारी, कुं0 रामवीर सिंह, सरोज तिवारी, मनोज तिवारी के अतिरिक्त प्रो0 रमेश दीक्षित, रविदास मेहरोत्रा, अनिल सिंह बीरू, राजेश यादव राजू की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।