लखनऊ| लैकफेड घोटाले में दोषी सात अफसरों के खिलाफ सजा का एलान हो गया है| कोर्ट ने मुख्य अभियंता गोविंद शरण श्रीवास्तव, महाप्रबंधक पंकज त्रिपाठी, प्रबंध निदेशक ब्रह्मा प्रकाश सिंह, लेखाकार अनिल कुमार अग्रवाल, प्रभारी अभियंता बरेली मंडल दिनेश कुमार साहू, अधिशाषी अभियंता संजय कुमार और अजय दोहरे को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ सजा का एलान कर दिया है| कोर्ट ने दिनेश कुमार साहू को 7 साल की सजा, गोविंद शरण श्रीवास्तव को 90 लाख का जुर्माना और दस साल की सजा, पंकज त्रिपाठी पर 90 लाख का जुर्माना, ब्रह्मा प्रकाश सिंह पर एक करोड़ तीस लाख का जुर्माना और दस साल की सजा, अनिल कुमार अग्रवाल को तीन साल की सजा, दिनेश कुमार साहू पर पचास लाख का जुर्माना, संजय कुमार पर पांच लाख का जुर्माना और पांच साल की सजा और अजय दोहरे पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है|
इससे पहले हाल ही में लैकफेड में हुए करोड़ों रूपये के घोटाले के मामले में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा, बादशाह सिंह, रंगनाथ मिश्रा व चंद्रदेव राम यादव सहित सात अभियुक्तों को बरी कर दिया था|
ऐसे सामने आया लैकफेड घोटाला:
उत्तर प्रदेश श्रम एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड (लैकफेड) के महाप्रबंधक पीएन सिंह यादव ने 21 फरवरी 2012 को थाना हुसैनगंज में आरोपी मुख्य अभियंता गोविंद शरण श्रीवास्तव व लेखाकार अनिल कुमार अग्रवाल के खिलाफ 12.36 करोड़ के गबन की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में मामले की जांच विशेष जांच अनुसंधान शाखा को सौंप दी गई। जांच के दौरान मामले की परत दर परत खुलती गई एवं घोटाले का दायरा बढ़ता गया। मामले की विवेचना के बाद जांच शाखा ने चार मंत्रियों, एक आइएएस अधिकारी सहित 14 आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। इस मामले में एक आरोपी तत्कालीन चेयरमैन सुशील कुमार कटियार को भगोड़ा घोषित कर उसकी संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। इस मामले में तत्कालीन श्रममंत्री बादशाह सिंह पर आरोप है कि उन्होंने भारत सरकार से बजट प्राप्त न होने के बावजूद श्रमिक अड्डों के निर्माण हेतु प्रस्ताव मांगा एवं पांच करोड़ रुपये रिश्वत लेकर कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश श्रम एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड को निर्माण एजेंसी नामित किया था।
तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्रा पर आरोप था कि उन्होंने सवा करोड़ रुपये रिश्वत लेकर 14 जिलों में 25 विद्यालयों के निर्माण कार्य चार अगस्त 2010 को कार्यदायी संस्था लैकफेड को नामित कर दिया। तत्कालीन लघु उद्योग मंत्री चंद्रदेव राम यादव पर आरोप है कि उन्होंने लघु उद्योगों से संबंधित निर्माण कार्यो हेतु बजट प्राप्त करने के लिए दी गई लाइजनिंग के तहत चेयरमैन सुशील कुमार कटियार के पीआरओ प्रवीण कुमार सिंह से दो करोड़ की धनराशि प्रमुख सचिव लघु उद्योग श्रीकृष्ण एवं मंत्री के पीआरओ सत्य प्रकाश श्रीवास्तव तथा अधिशाषी अभियंता सत्येन्द्र कुमार सिंह के समक्ष रिश्वत के रूप में प्राप्त की थी। आरोपी प्रबंध निदेशक ब्रम्ह प्रकाश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मुख्य अभियंता गोविंद शरण श्रीवास्तव, लेखाकार अनिल अग्रवाल के द्वारा चेयरमैन सुशील कुमार कटियार व पीआरओ प्रवीण कुमार सिंह के षड्यंत्र पर शासनादेशों का उल्लंघन कर करोड़ों रुपये की धनराशि की बियरर चेक काटकर करोड़ों रुपये हड़प लिये।